For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ई जे साँझ परलै मैया
की हमरे जीवनमे
मुनल आँखि तकबै कहिया
हमरो जीवनमे।।

सगर दुनियाँकेँ चिलका
माएक आँचर तर
हम अभागल कोना
भटकै छी दर-दर।।

घुरि, बुझि आबो आबू
मनु अबुद्धि नेना
अपन सिनेहसँ
किएक बिसरलहुँ ऐना।।

(मौलिक आ अप्रकाशित)

जगदानन्द झा 'मनु'

Views: 1270

Replies to This Discussion

भाई जगदानन्द मनुजी,  मातृ-शक्ति वास्ते मिथिलांचलक लोक सदाए सँ आग्रही रहै छथिन्ह. आदिशक्तिक सोझा निवेदनक परिक्षेत्र म पइग परम्परा अछि. कारनो स्पष्टे अछि.

ई प्रस्तुति प हम अहाँक बधाई आ शुभकामना बाइज रहल छी. आय बड्ड दिन भेल हम मंच पर मैथिली भासा में कोनो टटका रचना देख रहल छी.

किन्तु, प्रस्तुत रचना के अहाँ गीत सँ कियै सम्बोधित केलौं ? गीत लेल किछु विन्दु निर्धारित अछि नै ! मुदा, भाईजी, अहूँ बिचार करब.

शुभेच्छा.. .

जगतानंदजी , अतिआनन्दक अनुभूति भेल , गोसाओनगीत देखकऽ , पढ़ने भावातिरेक सेहो भेल . सब प्रबुद्ध आ कविगण जे एई तरहे योगदान करैथ तऽ ई पृष्ठ के जीवन्तता सेहो भेटत आ संसार के सब सऽ मृदुल बोल के साहित्य संसारक रस सुधीजन सब के भेटतैन से अलग स .अपने हमर साधुवाद ग्रहण करि कृतार्थ करै कऽ कृपा करी .आभार भाई जगदानन्दजी .

हार्दिक धन्यवाद विजय मिश्रजी, अपनेक विचार जानि नीक लागल ।  अपने एहि  रचनाकेँ पशीन कएलहुँ, सादर आभार  ।   

आदरणीय Saurabh Pandeyजी सादर प्रणाम,

अपनेक दिप्पणी पाबि धन्य भेलहुँ ।  हम साहित्यक नव-नव विद्यार्धि छी, ताहि कारणे एकर नीक बेजए पक्षसँ अनभिक छी, मोनक उद्गार जे केखनो कए अबैत अछि ओकरा अपनेक सभक सोंझा राखि दै छी । आगू अपनेक  सभक संगतमे रहि कए गीत, गजल, कविता आदि  विधाक व्याकरणक पक्ष सिखैक चेष्टामे छी ।  सदिखन अपनेक आशीर्वाद  आ सुझाबक प्रतीक्षामे.......                

अहाँक ई प्रत्युत्तर से हमरो मोनटा प्रसन्न भेल, जगदानन्दभाई. मैथिली मुदा हम पढ़ि-लीखि सकै छी, जेक्कर हमरा कनियै संतोष अछि. अन्यथा मिथिला प्रदेस छुटनाइयो हमरा लेल २५-२८ बरस भ गेल. अध्ययनकाल में दू बरसक हम्मर प्रवास मिथिलांचले में छल.

सादर नमन आ० पाण्डेय जी , दु  वर्षक प्रवासक प्रभाव एहन ? जानि  मोनक हर्ष कहबायोग्य नहि  अछि । 

भाई संजयजी, पाण्डेयजी कहबाक स्थानऽप अहाँ जे सौरभजी लिखू त सेहो नीक हेत.

शुभ-शुभ

सुन्नर, जगदानन्द जी 

आदरणीय जगदानंद झा 'मनु'जी , रचना बड्ड नीक लिखलहूँ । एकर सब आखर नीक बनल अछी मुदा गेबई कोना एकरा । आँहाक मुखरा तय भाष पर नई चैढ रहल अछी । मैथिलीक सब गीतक भाष हम गबैत छी । भगवती के गीत तय लिखलहूँ मुदा मुखरा में एकटा पाँति नीचा के होबाक चाही जे मुखरा के पकडत ....बुझना जा रहल अछी जे ईहे पाँति छूटी रहल अछी । ओना हम अपने बेसी किछो नई जनैत छी । जे बुझायल से कहलहूँ आँहाके । सादर

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
12 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
20 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
20 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
21 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
21 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
22 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
22 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
22 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
23 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
yesterday
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
Thursday
LEKHRAJ MEENA is now a member of Open Books Online
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service