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आदरणीय सुधीर जी कथनी व करनी के अंतर को लेकर अक्सर लघुकथाएं लिखी जाती है जिससे पाठक अब उब से गए हैं सो ऐसे कथानकों से सतर्क रहना बहुत जरूरी है । सादर
आपका कहा सर आँखों पर सर जी .. जब भी आप डांट लगा देते हैं तब-तब मेरी लेखनी सध जाती है है है ये सिद्ध है ..तो फिर से ता-ता-थैया..नमन आपको
वाह भई वाह चंद पक्तियों में कितना बड़ा सन्देश और तंज ... बहुत बहुत बधाई सुधीर भैया ... आपको देख कर लग रहा है कि लघु कथा का भविष्य उज्ज्वल है...
हार्दिक आभार सीमा दीदी
आदरणीय सुधीर द्विवेदी जी,हार्दिक बधाई!बहुत गम्भीर संदेश देती लघुकथा !बेहद सूक्षम शब्दों में बहुत बडी बात कह दी!
आ. तेजवीर सिंह जी हार्दिक आभार / सादर
क्या बात कही आपने बहुत थोड़े शब्दों में आ. सुधीर जी। बहुत बहुत बधाई आपको।
बहुत बहुत धन्यवाद आ. नीरज जी
वाह वाह....पर उपदेश कुशल बहुतेरे ..कहावत को चरितार्थ करती सही कटाक्ष करती लघु कथा है ,लघु कथा पढ़कर बचपन में गाँव में देखे एक स्कूल मास्टर जी याद आ गए जो पढ़ाते पढ़ाते अपने घर का काम खुद भी करते और बच्चों से भी करवाते थे ..आज कल गाँव में ये सब कम तो हो गया किन्तु कई जगह अभी भी होता है |
हार्दिक बधाई आपको आ० सुधीर द्विवेदी जी
हार्दिक आभार आ. राजेश कुमारी जी . सादर
आदरणीय सुधीर जी, कमाल हुआ है इस लघुकथा में..... जबरदस्त ... बहुत बहुत बधाई आपको
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