For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल ,,,,,,,,, गुमनाम पिथौरागढ़ी ,,,,,,,

२१२२  २१२२  २१२२  २१२

भेड़िये यूँ घूमते हैं झोपड़ी के सामने

डालते वहशी नज़र सब छोकरी के सामने

जेब खाली देखकर ये रेजगारी कह उठी

जेब खाली मत दिखाना तुम किसी के सामने

पेट बच्चा भर ना पाता बूढ़े से माँ बाप का

रोज मजमा जो लगाता घर गली के सामने

इस नशे में देखिये तो घर उजाड़े हैं बहुत

ये नशा दीवार है घर की ख़ुशी के सामने

शाम से ही सज रही मजबूर सी ये लडकियाँ

ज़ख्म ढक के आ गयीं हैं अब सभी के सामने

मिल ही जाती इक दवा तो यार मेरे गम की भी

मैं सदा से चुप ही रहा हूँ वैध जी के सामने

मौलिक व अप्रकाशित

गुमनाम पिथौरागढ़ी

Views: 501

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 2, 2015 at 10:31am

आदरणीय गुमनाम भाई , आपकी ये ग़ज़ल ठीक ठीक है , मै भी आदरणीय सौरभ भाई जी की बात से सहमत हूँ , शायद कुछ समय और देना था आपको । गज़ल के लिये आपको हार्दिक बधाइयाँ ।

Comment by मनोज अहसास on September 1, 2015 at 9:36pm
शाम से ही सज रही मजबूर सी ये लडकियाँ
ज़ख्म ढक के आ गयीं हैं अब सभी के सामने

ख्याल की ये ऊँचाई पूरी ग़ज़ल में निभा दीजिये
बहुत खूबसूरत गजल होगी
सादर
Comment by gumnaam pithoragarhi on September 1, 2015 at 7:08pm

नमस्कार दोस्तो अच्छा लगा कि मुझसे और बेहतर की उम्मीद की जाती ,,,,,, सौरभ जी मैं आपकी उमीदों पर खरा उतरने की कोशिश करूंगा ........... छोकरी क्या युवा होती लड़की या टीन एजर के लिए प्रयोग नही कर सकते ,,,,,,,,,,,

Comment by भुवन निस्तेज on September 1, 2015 at 10:00am

गुमनाम भाई अच्छी गजल हुई है आदरणीय सौरभ जी कि बातों क संज्ञान ललें....


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 31, 2015 at 11:17pm

गुमनाम भाई,  मैं आपकी कोईग़ज़ल एक अरसे बाद देख रहा हूँ. क्षमा कीजियेगा मैं स्वयं भी तनिक व्यस्त चल रहा हूँ. 

आपकी इस ग़ज़ल में बहुत कुछ है जो मुझे इस ग़ज़ल को आपकी ग़ज़ल कहने से रोक रहा है. कई भाव स्पष्ट रूप से निखर के नहीं आ पाये है.  अर्थात शेरों को और समय देना था. मतला में ’छोकरी’ शब्द का प्रयोग भी अटपटा लग रहा है.  हिन्दी में या उर्दू में किसी युवती के लिए ’छोकरी’ कोई सम्माननीय शब्द नहीं माना जाता. 

आपसे आपके लायक की प्रस्तुति की प्रतीक्षा रहेगी. 

शुभेच्छाएँ 

Comment by Sushil Sarna on August 31, 2015 at 7:58pm

भेड़िये यूँ घूमते हैं झोपड़ी के सामने
डालते वहशी नज़र सब छोकरी के सामने … गहन भावों को समेटे इस खूबसूरत ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई कबूल फरमाएं सर।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on August 31, 2015 at 2:26pm

बहुत बढ़िया ग़ज़ल हुई है आपको हार्दिक बधाई इस प्रस्तुति पर आदरणीय.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"प्रस्तुति को आपने अनुमोदित किया, आपका हार्दिक आभार, आदरणीय रवि…"
13 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय, मैं भी पारिवारिक आयोजनों के सिलसिले में प्रवास पर हूँ. और, लगातार एक स्थान से दूसरे स्थान…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय जयहिन्द रायपुरी जी, सरसी छंदा में आपकी प्रस्तुति की अंतर्धारा तार्किक है और समाज के उस तबके…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश भाईजी, आपकी प्रस्तुत रचना का बहाव प्रभावी है. फिर भी, पड़े गर्मी या फटे बादल,…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपकी रचना से आयोजन आरम्भ हुआ है. इसकी पहली बधाई बनती…"
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय / आदरणीया , सपरिवार प्रातः आठ बजे भांजे के ब्याह में राजनांदगांंव प्रस्थान करना है। रात्रि…"
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छन्द ठिठुरे बचपन की मजबूरी, किसी तरह की आग बाहर लपटें जहरीली सी, भीतर भूखा नाग फिर भी नहीं…"
Saturday
Jaihind Raipuri joined Admin's group
Thumbnail

चित्र से काव्य तक

"ओ बी ओ चित्र से काव्य तक छंदोंत्सव" में भाग लेने हेतु सदस्य इस समूह को ज्वाइन कर ले |See More
Saturday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद +++++++++ पड़े गर्मी या फटे बादल, मानव है असहाय। ठंड बेरहम की रातों में, निर्धन हैं…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service