For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल : मैं पागल था मगर इतना नहीं था

बह्र : १२२२ १२२२ १२२

 

सनम जब तक तुम्हें देखा नहीं था

मैं पागल था मगर इतना नहीं था

 

बियर, रम, वोदका, व्हिस्की थे कड़वे

तुम्हारे हुस्न का सोडा नहीं था

 

हुआ दिल यूँ तुम्हारा क्या बताऊँ

मुआँ जैसे कभी मेरा नहीं था

 

यकीनन तुम हो मंजिल जिंदगी की

ये दिल यूँ आज तक दौड़ा नहीं था

 

तुम्हारे हुस्न की जादूगरी थी

कोई मीलों तलक बूढ़ा नहीं था

-------------

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 769

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on October 19, 2015 at 12:36am

बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय राहुल जी

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on October 19, 2015 at 12:36am

बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय रवि शुक्ला जी

Comment by Rahul Dangi Panchal on September 28, 2015 at 11:25pm
तुम्हारे हुस्न की जादूगरी थी
कोई मीलों तलक बूढ़ा नहीं था

बहुत सुन्दर आदरणीय
Comment by Ravi Shukla on September 28, 2015 at 2:14pm

आदरणीय धर्मेन्‍द्र जी  बहुत बढि़या  शानदार अंदाजे बयां के लिये बधाई ।

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on September 28, 2015 at 11:30am

तह-ए-दिल से शुक्रिया आदरणीय गिरिराज जी

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on September 28, 2015 at 11:30am

शुक्रिया आदरणीय गोपाल नारायन जी

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on September 28, 2015 at 11:29am

तह-ए-दिल से शुक्रगुज़ार हूँ आदरणीय मिथिलेश जी

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on September 28, 2015 at 11:25am

शुक्रिया आदरणीय जयनित जी

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on September 28, 2015 at 11:25am

शुक्रिया आदरणीय अजय जी

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on September 28, 2015 at 11:25am

शुक्रिया आदरणीय पंकज कुमार जी

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

surender insan commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आदरणीय नीलेश भाई जी सादर नमस्कार जी। अहा! क्या कहने भाई जी बेहद शानदार और जानदार ग़ज़ल हुई है। अभी…"
25 minutes ago
Aazi Tamaam commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post शेष रखने कुटी हम तुले रात भर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"बहुत खूबसूरत ग़ज़ल हुई आदरणीय बधाई हो"
5 hours ago
Aazi Tamaam commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"अच्छी रचना हुई आदरणीय बधाई हो"
5 hours ago
Aazi Tamaam commented on surender insan's blog post जो समझता रहा कि है रब वो।
"अच्छी ग़ज़ल हुई आदरणीय बधाई हो 3 बोझ भारी तले को सुधार की आवश्यकता है"
5 hours ago
Aazi Tamaam commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"खूबसूरत ग़ज़ल हुई आदरणीय इस बह्र पर हार्दिक बधाई"
5 hours ago
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय सुरेंद्र इंसान जी इस ज़र्रा नवाज़ी का"
5 hours ago
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"बहुत शुक्रिया आदरणीय भंडारी जी इस ज़र्रा नवाज़ी का"
5 hours ago
surender insan commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"आदरणीय सुरेश भाई जी  छन्न पकैया (सारछंद) में आपने शानदार और सार्थक रचना की है। बहुत बहुत बधाई…"
7 hours ago
surender insan commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"आदरणीय आज़ी भाई आदाब। बहुत बढ़िया ग़ज़ल के लिए बधाई स्वीकार करे जी।"
7 hours ago
surender insan commented on surender insan's blog post जो समझता रहा कि है रब वो।
"आदरणीय सौरभ जी सादर नमस्कार जी। ग़ज़ल पर आने के लिए और अपना कीमती वक़्त देने के लिए आपका बहुत बहुत…"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"आदरणीय सुरेश भाई ,सुन्दर  , सार्थक  देश भक्ति  से पूर्ण सार छंद के लिए हार्दिक…"
11 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . विविध
"आदरणीय सुशिल भाई , अच्छी दोहा वली की रचना की है , हार्दिक बधाई "
11 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service