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विषय में नयापन अच्छा लगा आ० अर्चना त्रिपाठी जी ! लेकिन माँ के संयमित न रह पाने वाले भाव उभर कर नहीं आ सके ! बहरहाल, बधाई प्रेषित है !
हार्दिक बधाई आदरणीय अर्चना त्रिपाठी जी, स्त्री मन के अनुत्तरित प्रश्नों को उजागर करती खूबसूरत लघुकथा!
आदरणीया अर्चना जी समाज में व्याप्त शंकालु चरित्रों पर तीखा प्रहार करती बढ़िया लघुकथा हुई है. अपने शीर्षक को सार्थक करती इस प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई
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