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सर धन्यवाद आपका सराहने के लिये
बहुत ही बढ़िया रचना कही आदरणीया नयना जी, बधाई स्वीकार करें|
बहूत-बहूत आभार चन्द्रेश जी
अच्छी रचना के लिए बधाई आ. नयना जी
शान्ति ( विषय - प्रत्युत्तर )
''मर गया अधर्मी !
अब दुसरे भी साले सौ बार सोचेंगे ऐसा करने से पहले , आज तुम्हे गलत लग रहा है ना ? समझोगे एक दिन तुम भी , मजाक बना के रखा हुआ है , इनकी भावनाएं तो वन्देमातरम कहने भर से भड़क जाती हैं और ये गोवध करेंगे हमारे देश में और बैठ के तमाशा देखें ? चार अक्षर पढ़ गए तो बड़े शान्तिदूत बने फिरते हो न ? तो समझाते क्यूँ नहीं इनको कि शान्ति तो तभी होगी जब हमारी भावनाओं के साथ खेलना बंद करेंगे ये ''
'' नहीं सही किया आपने जो मार दिया उसे , यही तो अच्छाई है हमारे देश की कि मरने वाला अगर इंसान हो और ऊपर से ग़रीब तो किसी की भावनाएं भी नहीं भड़कतीं , देखो न कितनी शान्ति है चारों तरफ ''
(मौलिक एवं अप्रकाशित )
// मरने वाला अगर इंसान हो और ऊपर से ग़रीब तो // वाह !!!! क्या इंसानी मर्म के धागे को खिंचा है आपने लघुकथा में आदरणीय सलीम जी।ढेरों बधाई स्वीकार करें।
वाह वाह वाह भाई सालिम शेख जी, क्या गज़ब की लघुकथा कही है - आफरीन !! "इंसान और गरीब" के ज़िक्र से इस लघुकथा को गज़ब की बुलंदी बख्श दी है, ढेरों ढेर दाद हाज़िर है !
यही तो दुःख है कि मरने वाला इंसान ही होता है और कई बार मारने वाला भी इंसान ही होता है, हैवान कहीं ठाठ से रह रहे हैं तमाशा देखते हुए| गजब की लघुकथा कही है सालीम शेख साहब, बधाई स्वीकार करें|
ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी अंक-6 अपने अंतिम चरण में पहुच चुका है I आयोजन सफल रहा या नहीं इसका निर्णय तो समय ही करेगा क्योंकि मंच सचालक एवं प्रधान संपादक होने के नाते मुझे किसी प्रकार की खुशफ़हमी नहीं है I किन्तु इसमें माननीय रचनाकारों ने जिस उत्साह और जुड़ाव का प्रदर्शन किया, वह वन्दनीय है I लघुकथा विधा के प्रचार-प्रसार हेतु इस आयोजन की सार्थकता से इनकार नहीं किया जा सकता I रचनायों के स्तर में निरंतर सुधार हो रहा है, चर्चा भी पहले से थोड़ी अर्थपूर्ण हुई अवश्य हुई है, किन्तु अभी भी बहुत से माननीय सदस्यगण इस मामले में तंगदस्त नज़र आ रहे हैं I
कुछेक चीज़ें और भी ऐसी हैं, जो निराश करने वाली हैं I बार बार निवेदन के बावजूद भी बिना आयोजन की उद्घोषणा को गौर से पढ़े इसमें कूद पड़ने की प्रवृत्ति अभी भी कायम है I बोल्ड फॉण्ट में पोस्ट करना, शीर्षक के साथ अजीबो गरीब सिम्बल लगाना, चलताऊ टिप्पणियाँ देना, रचना के साथ अपना नाम लिखना और ५-७ शब्दों की टिप्पणियों को ४-५ पंक्तियों में लिखने की आदत के बारे में क्या कहा जाए ? अपनी रचना पोस्ट करने के बाद दोबारा वापिस ही न आने की "दागो और भागो" की प्रवृत्ति ऐसे आयोजन व मंच ही नहीं बल्कि स्वयं रचनाकार की अपनी गरिमा के भी अनुकूल नहीं है I इसके इलावा इस विश्व-स्तरीय आयोजन के महत्व को समझे बगैर हलकी रचनाएँ पोस्ट करने की आदत से भी हमें बचना होगा, हर बार कई कई रचनाएँ अस्वीकृत करते हुए मुझे अच्छा नहीं लगता I किसी संशय की स्थिति में लघुकथा की कक्षा में पहुँच कर मार्गदर्शन प्राप्त किया जा सकता है I आशा करता हूँ कि हमारे रचनाकार भविष्य में इन बातों को अवश्य ध्यान में रखेंगे, क्योंकि भविष्य में आयोजन के नियम और कड़े कर दिए जाने की योजना है (जिसमे भाषा/बर्तनी/व्याकरण की त्रुटियों से युक्त रचना को आयोजन से एकदम हटा देने का प्रावधान होगा) बहरहाल, इस महायज्ञ में अपनी पूर्णाहूति डालने हेतु सभी प्रतिभागियों का हार्दिक धन्यवाद करता हूँ I सभी लघुकथाकारों से अनुरोध है कि वे अगले आयोजन हेतु कमर कस लें, विषय की घोषणा आगामी कुछ दिनों में कर दी जाएगी I
// क्योंकि भविष्य में आयोजन के नियम और कड़े कर दिए जाने की योजना है (जिसमे भाषा/बर्तनी/व्याकरण की त्रुटियों से युक्त रचना को आयोजन से एकदम हटा देने का प्रावधान होगा) .// बाबा रे बाबा , ई नियम तो बड़ा घातक है ! बारम्बार नमन :((((((((
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