वो जो जले दीप उम्मीदों का
तो सफल है दीपावली
वो जो जले दीप मुस्कानों का
तो सफल है दीपावली
रोशनी से ज्ञान की, चमका लें हमारा भाल
करें जो मेहनत तो दोस्तों सधे हमारी चाल
वो जो जले दीप कोशिशों का
तो सफल है दीपावली
हम बनें हंस जो गाता है देख के भी मौत को
मुश्किलें जो आ जायें तो जलाएं कर्म की जोत को
वो जो जले दीप संघर्षों का
तो सफल है दीपावली
इक लक्ष्य बनाओ, पाने को, बदल दो इतिहास को
ना सोना बस चलना तुम, लेना सफलता की श्वास को
वो जो जले दीप क्षमताओं का
तो सफल है दीपावली
ना डरना जो कभी हारो, निराशा अभिशाप है
विश्वास रखना खुद पर भी, झुकना भी पाप है
वो जो जले दीप स्वाभिमानों का
तो सफल है दीपावली
क्या जात-पात के बंधन हैं, तुम रहना इंसान ही
दया-धर्म को मन में बसा के, दूर रखो अभिमान भी
वो जो जले दीप नयी सोचों का
तो सफल है दीपावली
(मौलिक और अप्रकाशित)
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खूबसूरत और प्रभावपूर्ण रचना..बधाई |
दीपावली के शुभ अवसर पर प्रस्तुत हुआ बाल-गीत उत्साहित कर रहा है. दीपों से अपेक्षाएँ पलना उभर कर सामने आया है.
हर्दिक शुभकामनाएँ आदरणीय चन्द्रेशजी.
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