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लीक से हटकर कथानक चुना है आ० विजय शंकर जी जिस कारण लघुकथा बढ़िया हुई है, हार्दिक बधाई स्वीकारें I लेकिन वार्तालाप/संवाद बिना इन्वर्टेड कौमास के लिखे गए हैं जिस की वजह से सम्प्रेषण पूरी तरह स्पष्ट नहीं हो पाया है I
बहुत अच्छी सन्देश परक लघु कथा ...हार्दिक बधाई आपको
विषय -संकल्प
रवि हर रोज की तरह आज भी कालोनी के बच्चों को पार्क में खेलता हुआ ,अपनी खिड़की से देख रहा था |वह हमेशा से इन बच्चों के साथ खेलना चाहता था ,उनसे दोस्ती करना चाहता था परंतु वह भगवान के अभिशाप का शिकार था | रवि के दाहिने पैर में बचपन से ही विकार था ,जिससे वह आम बच्चों की जमात में शामिल नही किया जाता था | आज वह काफी अशांत था ,शायद आज वह कई दिनों की ख़ामोशी तोडना चाहता था |आखिर कार उसने अपनी खामोशी को तोडा और एक बच्चे से उसने कहा -
"भैया मुझे भी लुका-छिपी वाला खेल खेलना है "
"चुप कर लगडे ,ठीक से खड़ा होना भी नही आता और तू खेलने चला है ,इडियट "-बच्चा ने कहा |
तभी उन्ही बच्चों की टोली से एक और बच्चे ने व्यंग कसा -
"जब तू हमारे लेवल का हो जायेगा तब आकार खेलना "
"तू लंगड़ा है ,तू कुछ नही कर सकता है ,लंगड़े "
सभी ने उसकी चुटकी ले |"तू लंगड़ा है ,तू कुछ नही कर सकता है ,लंगड़े "- ये बात मानो रवि के मन में घर गर गयी |
उसने लज्जा से अपना सर अन्दर कर लिया | उस रात को उसने संकल्प लिया की वह यह दिखाकर रहेगा की वह क्या कर सकता है |
कुछ दिन बाद ही जिले लेवल का सामन्य ज्ञान का कॉम्पटीसन था ,उसमे रवि सहित कालोनी के भी बच्चे थे | रवि ने बड़े ही उत्साहपूर्वक परीक्षा पूर्ण की |
अगले हफ्ते ही कॉम्पटीसन का परिणाम आ गया ,कालोनी के बच्चे जो शारीरिक रूप से स्वस्थ थे किसी का भी नाम शीर्ष १० में नही था ,मगर दृढ़ संकल्पी रवि ने जिले में तीसरा स्थान प्राप्त किया | कॉम्पटीसन के साक्षात्कार में जब उससे ये पूछा गया की अपने ये कैसे किया तो उसने मात्र इतना कहा -"मेरा संकल्प मेरे साथ है "| रवि के इस वाक्य से पूरे सदन में तालियाँ गूंज उठी |
रवि ने कालोनी के बच्चों को संकल्प लेने पर मजबूर कर दिया था कि वे किसी भी शारीरिक रूप से विकलांग व्यक्ति का मजाक नही उड़ायेंगे |
"मौलिक व अप्रकाशित "
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इंसान देह से भले लाचार हो , लेकिन मनोबल से कभी लाचार नहीं होता है। आज की प्रतिस्पर्धा और नम्बरो की मार -काट जिस तरह से मची हुई है , ऐसे में कुछ बनने का संकल्प हर विद्यार्थी जीवन में होने की जरुरत है। बेहद सार्थक सन्देश को रोपित किया है आपने अपने संकल्प में आदरणीय महर्षि जी। ढेरो बधाईया स्वीकार करें।
आ. kanta roy जी ,आपने रचना पर समय दिया ,आपका हार्दिक आभार | बस आप सब अपना आशीष बनाये रखें |
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