For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जनतंत्र में जयकार की जय - डॉo विजय शंकर

कोई ये दावा कर के बैठा है ,
कोई वो दावा करके बैठा है ,
कहाँ रह गए गरीबी मिटाने वाले ,
सबसे आगे तो वो निकला
जो रोटी रोटी पे अपनी तस्वीर
चिपका के बैठा है।
क्या बात है ,
हर बात में तेरी जय ,
हर खुशी में तेरी जय ,
हर गमी में तेरी जय ,
फसल अच्छी तो तेरी जय ,
पड़े सूखा तो तेरी जय ,
हर आपदा में जय ,
जय , सिर्फ तेरी जय ,
खाए तो तेरी जय ,
भूखा हो तो तेरी जय ,
जिए तो तेरी जय
मरे तो तेरी जय ,
जिंदगी रहे या जाए ,
बनी रहे तेरी जय ,
बस तेरी जय ,
बस तेरी जय।

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 620

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by vijay nikore on December 16, 2015 at 2:59pm

अच्छी रचना के लिए हार्दिक बधाई, आदरणीय विजय जी।

Comment by Dr. Vijai Shanker on December 7, 2015 at 10:16pm
आभार एवं धन्यवाद , आदरणीय मोहन बेगोवान जी , सादर।
Comment by मोहन बेगोवाल on December 6, 2015 at 10:13pm

  बहुत सुंदर नज्म कही आपजी ने बधाई हो 

Comment by Dr. Vijai Shanker on December 6, 2015 at 8:41pm
आदरणीय डॉo गोपाल नारायण जी , आभार एवं धन्यवाद , सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on December 6, 2015 at 8:40pm
आदरणीय गिरिराज भंडारी जी , आभार एवं धन्यवाद , सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on December 6, 2015 at 8:39pm
आदरणीय आर्यपुत्र सनी जाट स्वदेशी जी , आभार एवं धन्यवाद , सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on December 6, 2015 at 8:38pm
आदरणीय लक्षमण धामी जी , आभार एवं धन्यवाद , सादर।
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 6, 2015 at 12:16pm

सही कहा  सर !  हर हालत में जय उन्ही की है  .सादर .


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 6, 2015 at 11:05am

सत्य वचन , आदरनीय विजय भाई , सब कुछ राजनीति  मे जय कारे के लिये होती है । बधाई आपको रचना के लिये ।

Comment by आर्यपुत्र सनी जाट स्वदेशी on December 5, 2015 at 11:20pm
बहुत खूब

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक ..रिश्ते
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे रचे हैं। हार्दिक बधाई।"
Tuesday
Sushil Sarna posted blog posts
Sunday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 167 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है ।इस बार का…See More
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Apr 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service