Tags:
Replies are closed for this discussion.
आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी साहब, आपकी हर रचना में विषय का चुनाव और कहने का तरीका बहुत ही प्रभावशाली होता है, इस प्रतीकात्मक रचना के सृजन हेतु मेरी तरफ से सादर बधाई स्वीकार करें|
बिना किसी स्वार्थ के प्रकृति हमारे सिपहसलार बन कर हमारे जीवन की रक्षा करते है और हम उनके साथ क्या कर रहे है ? एक प्रश्न पर्यावरण के लिए और मानव स्वभाव के लिए भी।
एक नवांकुर चकित हो उठता है यु ही अक्सर ,जब वो उत्साह के चरम सीमा पर पहुँच जीवन जीने के उमंगों के क्षणों में इस स्वार्थी परिवेश में कटु -सत्य से सामना करता है। बहुत कठिनं होता है उसके लिए कि उसका चुनाव क्या हो ऐसे में , तिरोहित कर दे स्वयं को उसी धरा में या जीने की जिजीविषा को कायम रखे ?
ऐसे वक्त में ये नवांकुरों के मनोबल की परीक्षा की घड़ी भी होती है ।
प्रतीकों के माध्यम से इस लघुकथा में आपने एक चिंतन का विस्तार दिया जो बेहद स्पष्ट है। ढेरों बधाई आपको इस अनुपम व् सार्थक लघुकथा के लिए आदरणीय शहज़ाद जी ।
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |