Tags:
Replies are closed for this discussion.
प्रतीकों के माध्यम से इस लघुकथा में आपने जो विस्तार दिया जो बेहद उम्दा है। ढेरों बधाई आपको इस सार्थक लघुकथा के लिए आदरणीय शहज़ाद जी ।
कहते हैं कि ग़ालिब का है अंदाज़ -ए -बयां कुछ और।
यहाँ ग़ालिब की जगह उस्मानी फिट हो रहा है। ( बात ग़ज़ल की नहीं हो रही आपके अंदाज़ की हो रही है )
पंचतंत्र की कहानियों में भी पेड़ पौधे बात करते हैं मगर अंतत: हैं वे भी लघुकथाएँ ही।
लीजिए बधाई
उस्मानी जी आपकी रचना पढ़ कर दिल की बात जुबां पर आई और मैंने आपसे बोल दी। यह रचना बिलकुल ही अलग तेवर की है और इसी अंदाज़ -ए -बयां की मैंने तारीफ की। ( हम हरियाणा वालों को को तारीफ करनी भी कहाँ आती है )
पंचतंत्र रचनाएँ ,बोध कथाएँ या प्रेरक कथाएँ या लघु-व्यंग्य में अंतर करने की कवायद बहुत अरसे से चल रही है मगर इन समीक्षकों को कभी मरहूम मंटो गच्चा दे जाते हैं कभी मेरे प्रिय व्यंग्यकार हरिशंकर परसाई।
आप पाठकों के लिए लिखें ब्रदर
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |