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अच्छी लघुकथा कही है आ० नीता कसार जी, बधाई स्वीकारेंI
//"जीवनसाथी धोखेबाज़ हो सकता है माता पिता नही//
इतना भर कह देने से माता पिता मुक्त नहीं हो जाते, असल गलती तो उन्ही की है जो उन्होंने बगैर जांच पड़ताल बिटिया से छुटकारा पाना चाहा.
अच्छी लघुकथा हुई है आदरणीया नीता कसार जी, बहुत बहुत बधाई.
प्रवासियों की चकाचोंध से सावधान करती सार्थक लघु कथा ,हार्दिक बधाई आपको आदरणीय नीता जी
बहुत बढ़िया रचना आदरणीया नीता जी ,जीवन साथी हो सकता है लेकिन माता-पिता कभी धोखेबाज नहीं होते
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