For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल (पास है वह कहाँ दूर है )

ग़ज़ल (पास है वह कहाँ दूर है )

--------------------------------------

212 -------212 --------212

जो तसव्वुर में मामूर है |

पास है वह कहाँ दूर  है |

आइने पर न तुहमत रखो

वह तो पहले से मग़रूर है |

मुस्करा उनके हर ज़ुल्म पर

यह ही उल्फ़त का दस्तूर है |

उनके दीदार का है असर

मेरे रुख पे न यूँ नूर है |

बे वफ़ाई है वह हुस्न की

जो ज़माने में मशहूर है |

छोड़ जाये गली किस तरह

दिल के हाथों वो  मजबूर है|

अज़्मे उल्फ़त न तस्दीक़ कर

फ़ितरते हुस्न तो कूर  है |

(मौलिक व अप्रकाशित )  

 

Views: 429

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on March 4, 2016 at 8:26pm

मोहतरम जनाब तेजवीर   साहिब  ,  आपकी हौसला अफ़ज़ाई का तहे दिल से बहुत बहुत शुक्रिया ,महरबानी। ...

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on March 4, 2016 at 8:25pm

मोहतरम जनाब गिरिराज  साहिब  ,  आपकी हौसला अफ़ज़ाई का तहे दिल से बहुत बहुत शुक्रिया ,महरबानी। ... सर जी देखने में तो दोनों सानी मिसरे एक जैसे लग रहे हैं मगर मेरे मिसरे में जो ज़ाहिरा किया गया है वह है कि आशिक़ के रुख पर तो उदासी रहती है उसके रुख पर नूर यूँही नहीं आगया वह तो महबूब के दीदार का असर है। ...... यूँ शब्द को प्रश्न वाचक बनाकर शब्द असर से जोड़ा गया है ,,,,शुक्रिया

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on March 4, 2016 at 8:14pm

मोहतरम जनाब रवि शुक्ल  साहिब  ,  आपकी हौसला अफ़ज़ाई का तहे दिल से बहुत बहुत शुक्रिया ,महरबानी। ...

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on March 4, 2016 at 8:13pm

मोहतरमा कान्ता  साहिबा  ,  आपकी हौसला अफ़ज़ाई का तहे दिल से बहुत बहुत शुक्रिया ,महरबानी। ...

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on March 4, 2016 at 8:12pm

मोहतरम जनाब समर कबीर साहिब आदाब ,  आपकी हौसला अफ़ज़ाई का तहे दिल से बहुत बहुत शुक्रिया ,महरबानी। ...

Comment by TEJ VEER SINGH on March 4, 2016 at 5:36pm

 हार्दिक बधाई आदरणीय तस्दीक अहमद खान साहब जी! बेहतरीन गज़ल!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on March 3, 2016 at 10:28am

आदरणीय तस्दीक भाई , छोटी बहर मे बढिया ग़ज़ल कही आपने , दिली मुबारक बाद स्वीकार करें ।

भाव के हिसाब से इन दो कहन मे से कौन सा सही होगा एक बार सोचियेगा

उनके दीदार का है असर             उनके दीदार का है असर

मेरे रुख पे न यूँ नूर है |              मेरे रुख़ पे ये जो नूर है   

Comment by Ravi Shukla on March 2, 2016 at 6:02pm

आदरणीय तस्‍दीक अहमद जी  बधाई

Comment by kanta roy on March 2, 2016 at 4:17pm
मुस्करा उनके हर ज़ुल्म पर
यह ही उल्फ़त का दस्तूर है |------

बेहद शानदार गजल कही है आपने आदरणीय तस्दीक़ अहमद जी । बधाई कबूल कीजियेगा ।
Comment by Samar kabeer on March 2, 2016 at 3:34pm
जनाब तस्दीक़ अहमद साहिब आदाब,अच्छी ग़ज़ल कही भाई,दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएँ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Apr 27
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service