दिन ढलने का वक़्त क़रीब आरहा था कि अचानक रास्ते पर सामने से कारवां की तरफ कोई आदमी भागता हुआ नज़र आया | वह हांफता हुआ पास आकर बोला ,आगे ख़तरा है मेरा क़ाफ़ला लुट चूका है | सालारे कारवां ने बिना सोचे समझे उसकी बातों पर यक़ीन करके वहीँ पर क़याम करने का हुक्म देदिया ,हामिद ने लाख कहा इस पर यक़ीन मत करो , मुझे इसकी आँखों में फ़रेब नज़र आरहा है | ...... मगर सब बेकार गया | रात को जब क़ाफ़ले वाले बेख़बर सो रहे थे ,हामिद की आँखों से नींद गायब थी | ...... यकबयक उसे घोड़ों के टापों की आवाज़ सुनाई दी , वह जबतक सबको उठाता कारवां डाकुओं से घिर चूका था और उन्हीं डाकुओं में ख़बर देने वाला भी मौजूद था | ...... हामिद की एक नज़र खबर देने वाले आदमी पर थी और दूसरी नज़र कारवां के सालार पर थी जिनमें कोई खौफ दिखाई नहीं देरहा था। ...... उसके लबों की ख़ामोशी बिना कहे सारी हक़ीक़त बयां कर रही थी। ......
(मौलिक व अप्रकाशित )
Comment
मोहतरमा प्रतिभा साहिबा , आपकी हौसला अफ़ज़ाई का तहे दिल से बहुत बहुत शुक्रिया ,महरबानी। ... यह मेरी इस मंच पर पांचवीं लघु कथा है | दो ब्लॉग पर और तीन लघु कथा गोष्ठी पर। ... शुक्रिया
मोहतरमा राजेश कुमारी साहिबा , आपकी हौसला अफ़ज़ाई का तहे दिल से बहुत बहुत शुक्रिया ,महरबानी। ...
मोहतरम जनाब तेजवीर साहिब , आपकी हौसला अफ़ज़ाई का तहे दिल से बहुत बहुत शुक्रिया ,महरबानी। ...
मोहतरमा राहिला साहिबा , आपकी हौसला अफ़ज़ाई का तहे दिल से बहुत बहुत शुक्रिया ,महरबानी। ...
मोहतरम जनाब शेख शहज़ाद उस्मानी साहिब , आपकी हौसला अफ़ज़ाई का तहे दिल से बहुत बहुत शुक्रिया ,महरबानी। ...
बहुत सुन्दर रचना , शायद इस विधा में मंच पर ये आपकी पहली ही रचना है , बहुत सफलता पूर्वक और सहजता से आपने कथ्य को संप्रेषित किया है ,हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय तस्दीक जी
अर्थात घर का भेदी ही लंका ढाता है ये सच निकला ..बहुत खूब आ० तस्दीक जी सुन्दर लघु कथा हार्दिक बधाई आपको |
हार्दिक बधाई आदरणीय तस्दीक अहमद खान साहब जी!बेहतरीन प्रस्तुति!
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online