For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मय वो दौलत है जो जन्नत से यहाँ तक पहुँचे

बह्र:-2122-1122-1122-22

उसने ख़त लिख्खे रूमानी, वो कहाँ तक पहुँचे।।
मेरा दावा है रकीबों की ,जुबाँ तक पहुँचे।।

आह मत ले तु गरीबों की ,अमीराँ हो कर।
छोड़ दौलत को दुआयें ही, वहाँ तक पहुँचे।।

दौरे हाजिर में मुकाबिल है कहीं भी बेटी।
मेरी ख्वाहिस है बुलंदी के मकाँ तक पहुँचे।।

खुद खुदा ने ही खुदाई की खिलाफत करदी।
बे समय पानी ये पत्थर भी किसां तक पहुचे।।

नाम लेना भी गुनाहों में गिना क्यों तुमने।
मय वो दौलत है जो जन्नत से यहाँ तक पहुँचे।।

आमोद बिन्दौरी

Views: 482

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by vijay nikore on April 6, 2016 at 1:02pm

अच्छी गज़ल के लिए बधाई।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on April 5, 2016 at 10:53am

आ० भाई आमोद जी इस सूंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई .


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 4, 2016 at 10:22pm

आह मत ले तु गरीबों की ,अमीराँ हो कर।
छोड़ दौलत को दुआयें ही, वहाँ तक पहुँचे।।---बहुत  खूब 

दौरे हाजिर में मुकाबिल है कहीं भी बेटी।
मेरी ख्वाहिस है बुलंदी के मकाँ तक पहुँचे।।---वाह्ह्ह  शानदार शेर 

बहुत सुन्दर ग़ज़ल कही है आमोद जी 

बे समय पानी ये पत्थर भी किसां तक पहुचे।।----इस मिसरे में पत्थर शायद आप ओलों के लिए लिख रहे हैं क्या मैंने सही समझा  किसान को किसां लिखना क्या ठीक होगा ?

Comment by Dr Ashutosh Mishra on April 4, 2016 at 4:10pm

sunder prastuti

Comment by amod shrivastav (bindouri) on April 4, 2016 at 12:51pm
आप सभी का स्नेह ही है राहिला दी जो मार्गदर्शन देता है। वर्ना मैं कुछ नही ......इस अनन्त महा सागर में.....आप का स्नेह पाकर बहुत ख़ुशी हुई आप का आभार दी
Comment by Rahila on April 3, 2016 at 6:58pm
आप बहुत ही शानदार ग़ज़ल लिखते है आद.आमोद जी! मुझे इस विधा की कोई जानकारी नहीं लेकिन हर शेर का मफहूम इतना गजब का है कि तारीफ किये बगैर ना रह सकी । बहुत बधाई ।सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
4 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Sunday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Sunday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Saturday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Saturday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service