आदरणीय लघुकथा प्रेमिओ,
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परिस्थितियां बदलते ही भावनायें और विचार कैसे बदल जाते यही मानसिकता का प्रदर्शन ही मेरी कथा का मकसद था. इस वास्तविकता से हर कोई रोजाना कहीं न कहीं दो-चार होता होगा .धन्यवाद आदरणीय.
बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय अर्चना जी, त्वरित टिप्पणी हेतु आभार सखी.
आ.रीता जी बहूत सुंदर लिखा आपने.मदद करने वाले से हर कोई आस रखता चला जात है अंत: उसे आँखे मूँदने को मजबूर करती सार्थक रचना के लिए बधाई
परिस्थितियां बदलते ही भावनायें और विचार कैसे बदल जाते यही मानसिकता का प्रदर्शन ही मेरी कथा का मकसद था. धन्यवाद आदरणीया.
वाह वाह, बहुत ही खूबसूरत लघुकथा और यथार्थ का सजीव चित्रण किया है आ० रीता गुप्ता जीI हार्दिक बधाई स्वीकारें I
OBO में कथा पोस्ट करने से पहले दस बार रचना को यही सोच हर कोण से परखती हूँ कि आपकी क्या प्रतिक्रिया होगी सर. आपकी वाह वाह मेरे लिए मायने रखती है सर जी. धन्यवाद.
धन्यवाद आदरणीय .
परिस्थितियां बदलते ही भावनायें और विचार कैसे बदल जाते यही मानसिकता का प्रदर्शन ही मेरी कथा का मकसद था. आपने बिलकुल सही विवेचना किया है .धन्यवाद आदरणीय सुनील जी.
वास्तविकता से ओत प्रोत, अत्यंत सूक्ष्म अवलोकन, विषय से पूर्णरूपेण न्याय करती कथा हेतु हार्दिक शुभकामनाएं।
सही बोल रहें है आदरणीय ये बिलकुल वास्तविकता ही है, हर कोई कही न कही दो-चार होता रहता है. धन्यवाद.
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