आदरणीय लघुकथा प्रेमिओ,
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आदरणीय पंकज जोशीजी, आप अपेक्षतया नये सदस्य हैं. इस मंच पर प्रस्तुतियों के होने का विशेष अर्थ होता है. जिसके सापेक्ष रचनाकार अपनी रचना-यात्रा के विन्दु गाँठने का अभ्यास करते हैं. मंच के आयोजन वस्तुतः कार्यशालाओं का प्रतिरूप हैं जहाँ हम अपनी रचनाओं के सापेक्ष बहुत कुछ हृदयंगम करते हैं. अन्यथा प्रस्तुतियों की बाढ़ तो अन्य साइटों पर भी है. किन्तु, किसी आग्रही अभ्यासी को कितना या कैसा लाभ मिल पाता है ? है न ?
मेरे कहे को अनुमोदित तथा प्रतिष्ठित करने केलिए सादर धन्यवाद.
मेरे कहे को आत्मीयता से स्वीकरने केलिए सादर आभार, आदरणीय पंकज जोशी जी
शुभेच्छाएँ
इस कथा में तमशबीन कौन है ? स्पष्ट नहीं हो पा रहा आदरणीय पंकज जी ।
कथा के अंदर कथा ,बढिय़ा चित्रण ,इस गला काट प्रप्रतियोगिता में कुछ भी संभव है ।बधाई आदरणीय,परंतु विषय ?सादर
बहुत अच्छी तरह बाँधी कथा ज़रा सी चूक से फिसल गई पंकज भाई... प्रयास हेतु बधाई एवं बहुत बहुत शुभकामनाएं...
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