आदरणीय लघुकथा प्रेमिओ,
Tags:
Replies are closed for this discussion.
बेहतरीन अंत लिखा आपने आ. अर्चना जी ! बधाई |
ज़्यादातर संस्कारहींन विवाहित पुत्र मातापिता से छुटकारा चाहते है ईस तरह की आजादी के लिए। कथा मे "असंख्य आरोप" के जगह कई आरोप लिखे तो ? दिल को छु गयी आपकी यह लघुकथा। बधाई हो आ, अर्चना त्रिपाठीजी।
आदरणीया अर्चना जी, सुन्दर कथा.नव विवाहता से बात शुरु कर के आगे की कथा के सारे वर्णन एक दुसरे से मेल नहीं खा रहे हैं.//"छोड़िये पिताजी ,वो बाते पुरानी हो गयी//
//दनदनाते हुई कमरे में चले जाना // कमरे से चले जाना या कमरे में चले आना,दोनो में से कोइ एक हो सकता है.
ये समाज का एक विद्रूप चेहरा है जिसे चाहे अनचाहे समझना पड़ता है. हाइ कोर्ट के हमारे चैम्बर में एक ऎसी ही औरत आती थी जो अपने पति से तलाक चाहती थी और उसका पति ही मोटरसाइकिल से उसे हमारे चैम्बर के बाहर छोड़ता था. उसका एक मात्र ध्येय सासुर की सम्पत्ति का बटवारा था. सादर.
हार्दिक बधाई आदरणीय अर्चना त्रिपाठी जी! आज की पीढी अपने बुजुर्गों के अनुशासन और अंकुश तले अपना जीवन गुजारना एक बंदिश या क़ैद समझती हैं!उन्हें किसी भी कीमत पर स्वछंदता/आज़ादी चाहिये!विषय को चरितार्थ करती सुंदर प्रस्तुति!
क्या बात है !!
आदरणीया अर्चनाजी, आपने पारिवारिकता की घृणित प्रवृति पर उँगली रख दी है. इस सशक्त प्रयास के लिए हार्दिक बधाइयाँ
शुभ-शुभ
माता-पिता से पिंड छुड़ाने के लिए ऐसे तमाशे आजकल हो ही रहे हैं, अपनी रचना द्वारा इस सत्य के चित्रण के लिए सादर बधाई स्वीकार करें आदरणीया अर्चना त्रिपाठी जी |
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |