आदरणीय लघुकथा प्रेमिओ,
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आदरणीय ओमप्रकाश जी, कथा अगर अपने मूल बिन्दुओं में से एक को पूरा कर रही है तो लिखना सार्थक रहा. विचार देने के लिये आभार. सादर.
वाह वाह भाई शुभ्रांशु जी, प्रदत्त विषय पर अर्थगर्भित लघुकथा कही हैI इस सधी और कसी हुई लघुकथा पर हार्दिक बधाई प्रेषित हैI
आदरणीय योगराज सर. लखनऊ के वर्कशाप के बाद पहली कथा लिख रहा था. आपके अनुमोदन ने मन को सन्तोष और धैर्यता दी है. सादर.
आदरणीया, कथा पर आने के लिये आभार.सादर.
ज़मीनी सचाई यही है, कि भूमिपुत्रों की मेहनत जब फलदायी होने लगती है, उसके ऊपर शातिर गिद्धों की दृष्टि पड़ने लगती है. ऐसों से बच पाने की जुगत पर विचार करना अपने वज़ूद को बचा लेजाने के बराबर है. समाज के धुरंधर शातिरों की सदाशयता का अर्थ बताती हुई एक सशक्त प्रस्तुति हुई है, अनुज शुभ्रांशु जी.
हार्दिक बधाइयाँ
आदरणीय सौरभ भैया, इन संस्था हथियाऊ लोगों का एक अपना समुह होता है जो एक बार अध्यक्ष या सचिव बनने के बाद आजन्म उसके पदाधिकारी हो जाते हैं तथा इसी के दम पर विभिन्न योजनाओं का लाभ स्वयं के लिये करते हैं. इनके द्वारा उच्च न्यायालय में दाखिल किया गया public interest litigation मूल रूप से private interest litigation हो जाता है. बडॆ़ व्यवसायियों इसी
PIL से इसी के आधार पर धन वसूल करता है. सादर.
विषय को बढ़िया से परिभाषित करती अर्थपूर्ण रचना के लिए हार्दिक बधाई आपको
कथा पर आने के लिये आभार आदरणीय विनय जी,
आदरणीय समर साहब, कथा पर आने के लिये आभार.
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