For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गुंचा गुंचा गुलाब हो जाये

२१२२    १२१२    २२/112

गुंचा गुंचा गुलाब हो जाये 

सारा पानी शराब हो जाये 

उसके वालिद को देख इश्क मेरा 

हड्डी वाला कबाब हो जाये

क्या जरूरत है खोलने की लब 

जब नजर से जबाब हो जाये

मेरी नजरों के रुख पे पड़ते ही

हाथ उसका नकाब हो जाये

साथ उनके गुजारे जो लम्हे

लिख सकूँ तो किताब हो जाये

साक़िया बात कल की कल होगी

आज का तो हिसाब हो जाये

आज जीभर पिला मुझे साकी

आशु मुफलिस नवाब हो जाये  

.

मौलिक व अप्रकाशित 

Views: 792

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr Ashutosh Mishra on June 11, 2016 at 3:39pm

आदरणीय सौरभ सर ..मेरे लेखन के इस सफ़र में आप मेरे मार्गदर्शक है ..मैं सतत प्रयत्नशील हूँ ..रचना पर आपकी प्रतिक्रिया से मैं पूर्णतया सहमत हूँ ... कथ्य में कुछ नया पन हो इस मशविरे पर अमल का पूरा प्रयास करूंगा ...आप जैसे बिद्वत जनो का स्नेह और मार्गदर्शन यूं ही मिलता रहे इस कामना और सादर प्रणाम के साथ 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on June 11, 2016 at 3:33pm

आदरणीय गोपाल सर आपकी प्रतिक्रिया के तहे दिल आभारी हूँ ..आदरणीय समर सर की बात से अब मैं बिलकुल सहमत हूँ सादर प्रणाम के साथ 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on June 11, 2016 at 3:31pm

आदरणीय समर सर ..आपकी प्रतिक्रिया के तहे दिल आभारी हूँ आप आपके नजरिये से देख रहा हूँ बाकी ये दोनों अलग मिसरे ही लग रहे हैं ..बस सर आप का आशीर्वाद और मार्गदर्शन सदैव मिलता रहे ताकि मेरी रचनाओं में सुधार के साथ सोच को भी नए आयाम मिलते रहे सादर प्रणाम के साथ 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on May 24, 2016 at 8:26pm

ये पूरी ग़ज़ल ही ऐसी कई ग़ज़लों का कुल परिणाम लग रही है. अतः सोच के हिसाब से कोई नयी बात उभर के नहीं आयी.

मतले से मैं बहुत आश्वस्त नहीं हुआ. और, पहला शेर हास्य-प्रधान हो जाने से आगे के शेरों की रूमानियत मन में चढ़ नहीं पायी. 
वैसे इतना इसलिए कह पा रहा हूँ कि आप हमारे मंच के पुराने ग़ज़लकार हैं. तो नये ग़ज़लकारों के बनिस्पत अधिक की उम्मीद गलत नहीं है. 
:-))

शुभ-शुभ

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on May 20, 2016 at 10:59pm

क्या बात  है आदरणीय क्या बात है बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल हुई 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on May 19, 2016 at 8:37pm

आ० आशुतोष जी  मतले को छोड़ दे तो गजल अच्छी कही है आपने ,. मैं  बहुत जानकार नहीं हूँ पर उस्तादों से सुना है की मतले के पहले मिसरे में कोई  दावा पेश करते है और सानी मिसरे में उसका जवाब होता है . सादर .

Comment by Samar kabeer on May 18, 2016 at 11:15pm
ग़ुंचा का अर्थ आपने कलियों का समूह लिखा है जो सही नहीं है,ग़ुंचा का अर्थ होता है फूल की कली ।
आपने जो मतले के भाव बताए हैं वो उजागर नहीं हो रहे हैं ,ये सिर्फ़ आपकी मात्र सोच है,मतले के दोनों मिसरों में रब्त (तुकांतता) आवश्यक है,जो आपके मतले में नदारद है,ये सिर्फ़ दो अलग अलग मिसरे हैं ,इसके अलावा कुछ नहीं ।
Comment by जयनित कुमार मेहता on May 18, 2016 at 10:26pm
आदरणीय डॉ साहेब, आपका प्रयास बहुत अच्छा है। समर कबीर साहब की सलाह से सबको लाभ मिलता है जो कि आपको भी मिला।

हार्दिक बधाई। सादर!!
Comment by Dr Ashutosh Mishra on May 18, 2016 at 4:26pm

आदरणीय समर सर .आपके इस मार्गदर्शन से एक नयी दृष्टी मुझे मिली है मैं आपका शुक्रगुजार हूँ ..सर मैंने जो सोचा था उसके अनुरूप कलियों के समूह को जिसे गुंचा कहते है से मैं चाहता था कि इस तरह के तमाम फूलों के गुच्छे गुलाबों में तब्दील हो जाए ताकि बातावरण रूमानियत से भर जाए और फिर साथ में सारा पानी भी शराब हो जाए तो मयकशी और रूमानियत से भरा बाताबरण सोने पर सुहागे जैसा हो जाये यहाँ मेरी दो कामनाएं थीं जो स्वतंत्र थी किन्तु एक दूसर के प्रभाव को बढाने में कारगर होंगी यह सोचकर लिखा था ..लेकिन आप के सुझाव् से मुझे अपनी सोच को नया आयाम मिला है //मेरी सोच थोड़ी बहुत सही है या पूर्णतया गलत इस पर आपको एक बार और कष्ट देना चाहता हूँ सादर प्रणाम के साथ 

Comment by Samar kabeer on May 17, 2016 at 6:40pm
जनाब डॉ आशुतोष मिश्रा जी आदाब,मतले के बारे में बात स्पष्ट करने की कोशिश करता हूँ ।

आपके मतले का ऊला मिसरा :-

'ग़ुंचा ग़ुंचा गुलाब हो जाये'

ग़ुंचा ग़ुंचा गुलाब क्यूँ हो जाए साहिब ? अब इस का सानी मिसरा देखिये :-

'सारा पानी शराब हो जाये'

ग़ुंचा ग़ुंचा गुलाब होने से सारा पानी शराब कैसे हो सकता है,इसकी वजह नहीं है कुछ ,अब आपके ऊला मिसरे पर यह मिसरा देखिये :-

"वो अगर बे हिजाब हो जाये
ग़ुंचा ग़ुंचा गुलाब हो जाये"

"डाल दे पाँव तू अगर इसमें
सारा पानी शराब हो जाये"

उम्मीद है आप मेरी बात समझ गए होंगे, बाक़ी शुभ-शुभ ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीया प्राची दीदी जी, आपको नज़्म पसंद आई, जानकर खुशी हुई। इस प्रयास के अनुमोदन हेतु हार्दिक…"
16 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर"
16 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय सुरेश कल्याण जी, आपके प्रत्युत्तर की प्रतीक्षा में हैं। "
16 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आभार "
16 hours ago

मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय, यह द्वितीय प्रस्तुति भी बहुत अच्छी लगी, बधाई आपको ।"
16 hours ago

मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"वाह आदरणीय वाह, पर्यावरण पर केंद्रित बहुत ही सुंदर रचना प्रस्तुत हुई है, बहुत बहुत बधाई ।"
16 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई हरिओम जी, सादर आभार।"
16 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई हरिओम जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर बेहतरीन कुंडलियाँ छंद हुए है। हार्दिक बधाई।"
16 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई हरिओम जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर बेहतरीन छंद हुए है। हार्दिक बधाई।"
17 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई तिलक राज जी, सादर अभिवादन। आपकी उपस्थिति और स्नेह से लेखन को पूर्णता मिली। हार्दिक आभार।"
17 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई सुरेश जी, हार्दिक धन्यवाद।"
17 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई गणेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार।"
17 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service