For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आरक्षण – (लघुकथा ) –

आरक्षण – (लघुकथा ) –

 राज्य के कुछ तेज तर्रार देशी कुत्तों ने समाज की महा पंचायत बुलाई ! प्रदेश के कोने कोने से देशी कुत्ते एकत्र हुए ! सबसे बुजुर्ग कुत्ते को सभापति बनाया गया! तेज तर्रार कुत्तों में से एक प्रवक्ता बनाया गया!  प्रवक्ता ने मंच से संबोधित किया,

"साथियो, आप सभी को ज्ञात है कि हमारी क़ौम वफ़ादारी की मिसाल है! हम बिना किसी लोभ, लालच के घरों, बाज़ारों और सड़कों की चौकीदारी करते हैं! मगर अफ़सोस की बात है कि मानव जाति हमारे साथ घोर अन्याय  करती है! हमें कोई सुविधा नहीं दी जाती! इसके विपरीत विदेशी कुत्तों जैसे अल्सेशियन, बुलडौग, पामेरियन, जर्मन शैफ़र्ड, लैब्राडोर आदि को पालतू कुत्तों का दर्जा देकर ए सी बंगलों में रखा जाता है,  कारों में घुमाया जाता है एवम मांसाहारी खाना दिया जाता है! यह पक्षपात है"!

सारे एकत्र कुत्ते एक स्वर में गुस्से में चिल्ला उठे,"मानव जाति शर्म करो , पक्षपात बंद करो"!

सभापति ने सभी को शांत रहने का इशारा किया!

प्रवक्ता ने आगे बताया,

"हमारे कुछ विद्वान साथियों ने इस समस्या से निपटने का सुझाव दिया है कि हम लोग आरक्षण की मांग करें! जिस तरह मानव  जाति अपने कुछ पिछड़े भाई बंधुओं को आरक्षण के जरिये अच्छी अच्छी सुविधायें देती है, वही नियम हम लोगों के लिये भी लागू किया जाय"!

सारे दिन गरमा गरम बहस चली! कोई नतीज़ा नहीं निकला! सभी के विचारों को सुनने के बाद अंतिम निर्णय सभापति ने सुनाया,

"साथियो, यह सच है कि हमारे साथ अन्याय हो रहा है! मगर हम जो मांग कर रहे हैं वह सुविधा नहीं, बीमारी है, एक लाइलाज़ रोग है! आप लोग खुद देखिये कि किस तरह आज मानव जाति  इस आरक्षण को लेकर आपस में लड़ रही है! कल वही स्थिति हमारी भी हो सकती है"!

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 608

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by TEJ VEER SINGH on June 13, 2016 at 6:11pm

हार्दिक आभार आदरणीय राहिला जी! प्रणाम! आपको लघुकथा कुछ ज्यादा ही अच्छी लगी! पुनः आभार!

Comment by Rahila on June 13, 2016 at 12:58pm
बहुत खूब, बहुत बेहतरीन रचना, बहुत बेहतरीन विषय, बहुत ही संवेदनशील टॉपिक पर खूब सोचा आपने !मैं भी कई बार सोच चुकी हूं लेकिन कोई दमदार प्लेटफॉर्म सूझा नहीं,आपने तो कमाल का लिखा । बहुत बधाई आपको । सादर प्रणाम
Comment by TEJ VEER SINGH on June 13, 2016 at 11:18am

हार्दिक आभार आदरणीय राजेश कुमारी जी!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 13, 2016 at 10:38am

वाह्ह्ह  वाह  आरक्षण के तलबगारों तथा इस बीमारी को पनपाने वालों  को इससे बढ़िया क्या तमाचा मिलेगा इस को पढ़कर श्रम से डूबने को चुल्लू भर पानी भी ढूँढते फिरेंगे | बेहतरीन लघु कथा आ० तेजवीर सिंह जी हार्दिक बधाई आपको |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin posted discussions
Tuesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  …See More
Tuesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"बहुत सुंदर अभिव्यक्ति हुई है आ. मिथिलेश भाई जी कल्पनाओं की तसल्लियों को नकारते हुए यथार्थ को…"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय मिथिलेश भाई, निवेदन का प्रस्तुत स्वर यथार्थ की चौखट पर नत है। परन्तु, अपनी अस्मिता को नकारता…"
Jun 6
Sushil Sarna posted blog posts
Jun 5
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार ।विलम्ब के लिए क्षमा सर ।"
Jun 5
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया .... गौरैया
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी । सहमत एवं संशोधित ।…"
Jun 5
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .प्रेम
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभार आदरणीय"
Jun 3
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .मजदूर

दोहा पंचक. . . . मजदूरवक्त  बिता कर देखिए, मजदूरों के साथ । गीला रहता स्वेद से , हरदम उनका माथ…See More
Jun 3

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सुशील सरना जी मेरे प्रयास के अनुमोदन हेतु हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
Jun 3
Sushil Sarna commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"बेहतरीन 👌 प्रस्तुति सर हार्दिक बधाई "
Jun 2
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी समीक्षात्मक मधुर प्रतिक्रिया का दिल से आभार । सहमत एवं…"
Jun 2

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service