For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

२१२२/१२१२/२२ (११२)
.
उन की गर्दन लगे सुराही, हय!!
उन को लगता हूँ मैं शराबी, हय!!
.
मैंने भेजा सलाम महफ़िल में,
उस ने भेजी नज़र जवाबी, हय!!
.
मुझ को कोई चुड़ैल फाँस न ले,
गाहे-गाहे मेरी तलाशी, हय!!
.
जिस नज़र से ये दिल तमाम हुआ,
हाय चाकू, छुरी, कटारी, हय!! 
.
सारी अच्छाइयाँ उदू में थीं,
मेरी हर बात में ख़राबी, हय!! 
.
भींच लेती हैं तेरी यादें मुझे,
“नूर” हर शाम ये कहानी, हय!!    
.
मौलिक / अप्रकाशित 
निलेश "नूर"

Views: 586

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 3, 2016 at 6:37pm

अय हय हय !

मतलब ये कि अबरा झूम के उमड़ा, घुमड़ा और बरसा है ! 

दाद दाद !!

Comment by Dr Ashutosh Mishra on July 3, 2016 at 4:29pm

आदरणीय नूर जी ..आपकी हर ग़ज़ल एक नए अंदाज में होती है ..आज तो आपके इस निराले अंदाज को सलाम ..ढेर सारी बधाई स्वीकार करिएँ सादर 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on July 3, 2016 at 2:41pm

शुक्रिया आ. शिज्जू भाई 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on July 3, 2016 at 8:49am
मुझ को कोई चुड़ैल फाँस न ले,
गाहे-गाहे मेरी तलाशी, हय!!

अय हय क्या अंदाज़ है आ. निलेश भाई बहुत बहुत मुबारक़बाद इस ग़ज़ल के लिए।
Comment by Nilesh Shevgaonkar on July 3, 2016 at 7:29am

शुक्रिया आ. अशोक कुमार जी 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on July 3, 2016 at 7:29am

शुक्रिया आ. राजेश दीदी 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on July 3, 2016 at 7:29am

शुक्रिया आ. जयनीत जी 

Comment by Ashok Kumar Raktale on July 2, 2016 at 7:25pm

उन की गर्दन लगे सुराही, हय!!
उन को लगता हूँ मैं शराबी, हय!!........वाह ! वाह ! बहुत जोरदार

आदरणीय नीलेश जी सादर, खूबसूरत अंदाज लिए शानदार गजल हुई है. बहुत-बहुत बधाई स्वीकारें.सादर.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 2, 2016 at 6:35pm

मुझ को कोई चुड़ैल फाँस न ले,
गाहे-गाहे मेरी तलाशी, हय!!------वाह्ह्ह्हह  हाय हाय  क्या बात कही 

बहुत ही रोचक मजेदार ग़ज़ल पढने को मिली 

मेरी तरफ से ढेरों दाद हाजिर है नीलेश भैया 

Comment by जयनित कुमार मेहता on July 2, 2016 at 12:52pm
आय हाय!

क्या खूब ग़ज़ल कही आपने आदरणीय निलेश जी।
आपके इस अंदाज़ से तो अभी-अभी परिचित हो रहा हूँ।
बहुत-बहुत बधाई आपको।
सादर!!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin posted discussions
Tuesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  …See More
Tuesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"बहुत सुंदर अभिव्यक्ति हुई है आ. मिथिलेश भाई जी कल्पनाओं की तसल्लियों को नकारते हुए यथार्थ को…"
Jun 7

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय मिथिलेश भाई, निवेदन का प्रस्तुत स्वर यथार्थ की चौखट पर नत है। परन्तु, अपनी अस्मिता को नकारता…"
Jun 6
Sushil Sarna posted blog posts
Jun 5
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार ।विलम्ब के लिए क्षमा सर ।"
Jun 5
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया .... गौरैया
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी । सहमत एवं संशोधित ।…"
Jun 5
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .प्रेम
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभार आदरणीय"
Jun 3
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .मजदूर

दोहा पंचक. . . . मजदूरवक्त  बिता कर देखिए, मजदूरों के साथ । गीला रहता स्वेद से , हरदम उनका माथ…See More
Jun 3

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सुशील सरना जी मेरे प्रयास के अनुमोदन हेतु हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
Jun 3
Sushil Sarna commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"बेहतरीन 👌 प्रस्तुति सर हार्दिक बधाई "
Jun 2
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी समीक्षात्मक मधुर प्रतिक्रिया का दिल से आभार । सहमत एवं…"
Jun 2

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service