For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल (नया नग्मा कोई गाओ)

1 2 2 2     1 2 2 2

नया नग्मा कोई गाओ

पुराने ग़म चले आओ

तुम्हें उड़ना सिखा दूँगा

मिरे पिंजड़े में आ जाओ

अकेलापन अगर अखड़े

उदासी को बुला लाओ

अरे भँवरे, अरी चिड़िया

ग़ज़ल कोई सुना जाओ

शजर बोला परिंदे से

मुहाजिर लौट भी आओ

हमारा दिल तुम्हारा घर

कभी आओ, कभी जाओ

 

मौलिक और अप्रकाशित

...दीपक कुमार

Views: 655

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by जयनित कुमार मेहता on January 20, 2017 at 5:27am
आदरणीय दीपक जी, सर्वप्रथम अच्छी ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई आपको। आदरणीय समर कबीर जी इस मंच से पुराने तथा वरिष्ठ सदस्य हैं। इनकी सलाह अमूल्य होती है। अगर आप इनकी बात को ध्यान से सुनें और समझ पाएं तो आप को काफ़ी लाभ होगा। सादर।।
Comment by Samar kabeer on January 19, 2017 at 2:48pm
"मेरे ग़म मुझ पर हावी हो रहे हैं"इस जुमले में 'मेरे'और 'हैं'शब्द से ये बहुवचन हो रहा है ।
"पुराने दोस्त चले आओ'ये जुमला 'चले आओ'से ग़लत हो रहा है,अगर इसे तरह कहेंगे तो दुरुस्त होगा "पुराने दोस्त चले आएं"और अगर एक वचन में कहेंगे तो "पुराने दोस्त चला आ"कहना होगा ।
आपके मिसरे में "पुराने ग़म चले आओ"ग़लत है,या यूँ कहना होगा "पुराने ग़म चला आ"या बहुवचन में कहना है तो यूँ कहेंगे "पुराने ग़म चले आएं",उम्मीद है आप मेरी बात समझ गए होंगे ?
Comment by दीपक कुमार on January 19, 2017 at 10:58am

आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी बहुत-बहुत शुक्रिया आपका ! आदरणीय समर कबीर जी की बात पर और आपकी बात पर भी मैं गौर करूँगा !

अखड़े को अखरे और पिंजड़े को पिंजरे मैं कर लूँगा . आख़िर अमृता प्रीतम जी ने भी तो “पिंजर” ही लिखा है। आभार !

Comment by दीपक कुमार on January 19, 2017 at 10:54am

आदरणीय समर कबीर साहब बहुत-बहुत आभार ! आपके सुझाव मेरी रचनाशीलता के क्रम में बहुत काम आएंगे ।

यहाँ पर मुझे एक बात समझ नहीं आ रही है कि “ग़म” एकवचन है तो बदलना क्यूँ पड़ेगा ? और “ग़म” तो एकवचन और बहुवचन दोनों तरह से प्रयोग किए जाते हैं । जैसे “मेरे ग़म मुझ पर हावी हो रहे हैं”, यहाँ ग़म बहुवचन के रूप में प्रयोग हो रहा है। यहाँ मेरे शेर के मिसरे में “पुराने ग़म चले आओ” में क्या ग़म एकवचन और बहुवचन दोनों नहीं माने जा सकते ? अगर ग़म एकवचन मानें तो किसी ख़ास ग़म की बात हो रही हो जैसे किसी ख़ास दोस्त की बात होती है “पुराने दोस्त चले आओ”। सादर !

Comment by दीपक कुमार on January 19, 2017 at 10:34am

आदरणीय सुशील सरना जी बहुत – बहुत धन्यवाद आपका !

Comment by दीपक कुमार on January 19, 2017 at 10:33am

Sheikh Shahzad Usmani साहब, ममनून हूँ, शुक्रगुजार हूँ आपका ! बहुत – बहुत शुक्रिया !

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on January 17, 2017 at 7:47pm
छोटी बह्र पर बेहतरीन ग़ज़ल के लिए बहुत बहुत मुबारकबाद मोहतरम जनाब दीपक कुमार साहब।
Comment by Sushil Sarna on January 17, 2017 at 5:56pm
आदरणीय दीपक जी इस सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई।
Comment by Samar kabeer on January 17, 2017 at 3:56pm
जनाब दीपक कुमार जी आदाब,ग़ज़ल आपने अच्छी कही, इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
मतले के सानी मिसरे में 'ग़म'एक वचन है, देखियेगा,इसलिये ये मिसरा बदलना होगा ।
तीसरे शैर के ऊला में 'अखड़े'को "अखरे" कर लें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna posted blog posts
7 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम्. . . . . गुरु
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय । विलम्ब के लिए क्षमा "
11 hours ago
सतविन्द्र कुमार राणा commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"जय हो, बेहतरीन ग़ज़ल कहने के लिए सादर बधाई आदरणीय मिथिलेश जी। "
15 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"ओबीओ के मंच से सम्बद्ध सभी सदस्यों को दीपोत्सव की हार्दिक बधाइयाँ  छंदोत्सव के अंक 172 में…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ जी सादर प्रणाम, जी ! समय के साथ त्यौहारों के मनाने का तरीका बदलता गया है. प्रस्तुत सरसी…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह वाह ..  प्रत्येक बंद सोद्देश्य .. आदरणीय लक्ष्मण भाईजी, आपकी रचना के बंद सामाजिकता के…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाई साहब, आपकी दूसरी प्रस्तुति पहली से अधिक जमीनी, अधिक व्यावहारिक है. पर्वो-त्यौहारों…"
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ भाईजी  हार्दिक धन्यवाद आभार आपका। आपकी सार्थक टिप्पणी से हमारा उत्साहवर्धन …"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी छंद पर उपस्तिथि उत्साहवर्धन और मार्गदर्शन के लिए हार्दिक आभार। दीपोत्सव की…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय  अखिलेश कॄष्ण भाई, आयोजन में आपकी भागीदारी का धन्यवाद  हर बरस हर नगर में होता,…"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी छन्द पर उपस्तिथि और सराहना के लिए हार्दिक आभार आपका। दीपोत्सव की हार्दिक…"
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय लक्ष्मण भाईजी हार्दिक बधाई इस प्रस्तुति के लिए ।"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service