आदरणीय साथिओ,
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आ. आरिफ जी ,दोनों लघुकथाओं में आपने बहुत ही सीमित शब्दों में अपनी बात कह दी।" दामन " में धरती और" सीरत " में वैशाली वास्तव में एक अच्छा सन्देश देती नज़र आतीं हैं। मेरी तरफ से आपको बहुत बहुत बधाई।
आदरणीय जनाब मोहम्मद आरीफ जी- भिन्न प्रकृति की दोनों लघुकथाऐं प्रेरक संदेश देती हैं । सीरत में तो दो शब्दों में सटीक और ठोस उत्तर देकर सामने वाले की लिजलिजी मनोवृत्ति पर भी आघात किया है। बधाई आपको ।
लघु कथा के सद्प्रयास हेतु आपको बहुत बधाई आदरणीय ।
ख़ुद मियाँ फजीहत, औरों को नसीहत? बढ़िया लघुकथा हुई है भाई सुनील कुमार जी, बहुत बहुत बधाईI
आवाज=आवाज़
उकताकर= उकता कर
पढते=पढ़ते
ईशारा=इशारा
"मतलब...!"="मतलब?"
"पता नही लोग कब समझेगें ?= "पता नही लोग कब समझेगेंI
"दो रूई के फाहों"="रूई के दो फाहों
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