For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल: सूखे-सूखे जंगल अब

बह्र-22/22/22
सूखे-सूखे जंगल अब,
रूठे-रूठे बादल अब ।

.
वादे, नारे सब झूठे,
बदले-बदले हैं दल अब ।

.

देखो किसकी साज़िश है,
रिश्ते-नाते घायल अब ।

.

बोतल में ऊँचे दामों,
बिकता है गंगा जल अब ।

.

ग़रीब के घर भी यारों,
ख़ुशियों वाला हो पल अब ।

.
मौलिक एवं अप्रकाशित ।

Views: 704

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Mahendra Kumar on May 15, 2017 at 11:52am

बढ़िया ग़ज़ल है आदरणीय मोहम्मद आरिफ जी. हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. सादर.

Comment by Mohammed Arif on May 9, 2017 at 1:30pm
ग़ज़ल की सराहना और हौसला अफज़ाई कि बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय गिरिराज भंडारी जी ।
Comment by Mohammed Arif on May 8, 2017 at 10:25pm
आली जनाब मोहतरम समर कबीर साहब ग़ज़ल की सराहना और हौसला आफज़ाई का शुक्रीया । आगामी ग़ज़ल में ध्यान रखूँगा ।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on May 8, 2017 at 9:56pm

आदरणीय आरिफ भाई ,  छोटी बहर मे बहुत अच्छी गज़ल कही है आपने , बधाइयाँ स्वीकार करें ।

Comment by Samar kabeer on May 8, 2017 at 9:51pm
जनाब मोहम्मद आरिफ़ साहिब आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।
एक बात ये कि ग़ज़ल का हर शैर इकाई का दर्जा रखता है,इसलिये ग़ज़ल का कोई शीर्षक नहीं होता ।
Comment by Mohammed Arif on May 8, 2017 at 3:17pm
आदरणीय तस्दीक़ अहमद जी आदाब,ग़ज़ल की सराहना और इस्लाह का बहुत-बहुत शुक्रिया ।
Comment by Tasdiq Ahmed Khan on May 8, 2017 at 2:23pm
मुहतरम जनाब आरिफ साहिब,छोटी बह्र में अच्छी ग़ज़ल हुई है ,मुबाकबाद क़ुबूल फरमायें ----आखरी शेर उला में गरीब की जगह मुफ़लिस करके देखिए
Comment by Mohammed Arif on May 8, 2017 at 1:20pm
बहुत-बहुत आभार और इस्लाह के लिए शुक्रिया आदरणीय रवि शुक्ला जी ।
Comment by Mohammed Arif on May 8, 2017 at 1:18pm
ग़ज़ल सराहना और हौसला आफज़ाई का बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय नीलेश जी ।
Comment by Mohammed Arif on May 8, 2017 at 1:18pm
ग़ज़ल सराहना और हौसला आफज़ाई का बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय नीलेश जी ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक ..रिश्ते
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे रचे हैं। हार्दिक बधाई।"
yesterday
Sushil Sarna posted blog posts
Sunday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 167 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है ।इस बार का…See More
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Apr 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service