For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

इतनी ज्यादा बात न कर

वादों की बरसात न कर

 

ह्रदय बड़ा ही नाजुक है,

उस पर यूँ आघात न कर

 

ख्यात न हो कुछ बात नहीं,

पर खुद को कुख्यात न कर

 

मानव को मानव रहने दे,

ऊंची नीची जात न कर

 

खुलकर गले न मिल पाए,

पैदा वो हालात न कर

मौलिक एवं अप्रकाशित 

 

Views: 753

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बसंत कुमार शर्मा on June 14, 2017 at 1:35pm
आदरणीया y Arpana Sharma जी एवं आदरणीय Mohammed Arif जी हौसला अफजाई के लिए आपका दिल से शुक्रिया
Comment by बसंत कुमार शर्मा on June 14, 2017 at 1:35pm
आदरणीया y Arpana Sharma जी एवं आदरणीय Mohammed Arif जी हौसला अफजाई के लिए आपका दिल से शुक्रिया
Comment by बसंत कुमार शर्मा on June 13, 2017 at 8:46am

आदरणीय Mahendra Kumar जी आपका   हौसलाफजाई के लिए दिल से शुक्रिया 

Comment by बसंत कुमार शर्मा on June 13, 2017 at 8:46am

 आदरणीय narendrasinh chauhan जी हौसलाफजाई के लिए आपका दिल से शुक्रिया 

Comment by बसंत कुमार शर्मा on June 13, 2017 at 8:45am

 आदरणीय vijay nikoreजी हौसला अफजाई के लिए  आपका ह्रदय से आभार 

Comment by Mahendra Kumar on June 5, 2017 at 7:34pm

आ. बसंत जी, बढ़िया लगी आपकी ग़ज़ल. हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. सादर.

Comment by narendrasinh chauhan on June 3, 2017 at 5:30pm

सुन्दर रचना 

Comment by vijay nikore on June 3, 2017 at 3:23pm

बहुत ही अच्छी गज़ल के लिए हार्दिक बधाई, आदरणीय बसंत जी

Comment by बसंत कुमार शर्मा on June 3, 2017 at 1:19pm

आदरणीया KALPANA BHATT जी आपकी मनभावन प्रतिक्रिया हेतु दिल से शुक्रिया 

Comment by बसंत कुमार शर्मा on June 3, 2017 at 1:18pm

आदरणीया Arpana Sharma जी आपकी मनभावन प्रतिक्रिया पर आपका ह्रदय से आभार 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक ..रिश्ते
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे रचे हैं। हार्दिक बधाई।"
12 hours ago
Sushil Sarna posted blog posts
Sunday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 167 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है ।इस बार का…See More
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Apr 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service