For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

व्यर्थ है ...

व्यर्थ है
अपनी आशाओं को
दियों की
उदास पीली
मटमैली रोशनी में
मूर्त रूप देना

व्यर्थ है
प्रतीक्षा पलों की
चिर वेदना को
कपोलों पर
खारी स्याही से अंकित
शब्दों के स्पंदन को
मूर्त रूप देना

व्यर्थ है
शून्यता में विलीन
पदचापों को
अपने स्नेह पलों में
समाहित कर
मौन पलों को
वाचाल कर
मन कंदरा के
भावों को
मूर्त रूप देना

हाँ
जानती हूँ
व्यर्थ है
सब कुछ
प्रेम
प्रतीक्षा
भाव
समर्पण
खारी लकीरें
मुंह चिढ़ाते
अंतरंग स्पंदन
सब व्यर्थ है
पर
फिर भी
न जाने क्यूँ
ये दिल है
जो मानता ही नहीं
बार बार
चाहता है
तुन्द हवाओं के  बीच
अविश्वास की रेत पर
विशवास को
मूर्त रूप देना

सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 545

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on July 22, 2017 at 4:34pm

आदरणीय  vijay nikore जी सृजन को अपनी स्नेहिल प्रशंसा से अलंकृत करने का शुक्रिया।

Comment by vijay nikore on July 21, 2017 at 11:22am

हमेशा  की तरह आपसे यही उमीद थी... बहुत ही सुन्दर रचना के लिए बधाई, आदरणीय सुशील जी।

Comment by Sushil Sarna on July 20, 2017 at 4:34pm

आदरणीय नरेंद्र सिंह चौहान जी सृजन को अपनी स्नेहिल प्रशंसा से अलंकृत करने का शुक्रिया।

Comment by Sushil Sarna on July 20, 2017 at 4:34pm

आदरणीय मो.आरिफ साहिब सृजन को अपने स्नेह से पोषित करने का हार्दिक आभार।

Comment by Sushil Sarna on July 20, 2017 at 4:32pm

आदरणीय समर कबीर साहिब , आदाब  ... सृजन को आपका आशीर्वाद न मिले तो अधूरापन लगता है।  आपकी इस आत्मीय प्रशंसा का तहे दिल से शुक्रिया।  सब व्यर्थ है मुझे सही लगता है   .... बाकी इंगित टंकण त्रुटि को मैं अभी दुरुस्त किये देता हूँ  ... इस हेतु बन्दे का शुक्रिया कबूल फरमाएं सर। 

Comment by narendrasinh chauhan on July 19, 2017 at 3:30pm

लाजवाब  रचना के लिए  हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।

Comment by Mohammed Arif on July 19, 2017 at 2:11pm
आदरणीय सुशील सरना जी आदाब , बेहतरीन रचना । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।
Comment by Samar kabeer on July 19, 2017 at 12:01pm
जनाब सुशील सरना जी आदाब,बहुत सुंदर और शानदार कविता लिखी आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
'हाँ जानती हूँ....के बाद वाली पंक्तियों के अंत में'सब व्यर्थ है' को "सब व्यर्थ हैं'लिखना उचित होगा क्या ?
'तुन्द हवाओं की बीच' को "तुन्द हवाओं के बीच" कर लीजियेगा ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज जी इस बह्र की ग़ज़लें बहुत नहीं पढ़ी हैं और लिख पाना तो दूर की कौड़ी है। बहुत ही अच्छी…"
43 minutes ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहते हो बात रोज ही आँखें तरेर कर-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. धामी जी ग़ज़ल अच्छी लगी और रदीफ़ तो कमल है...."
48 minutes ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"वाह आ. नीलेश जी बहुत ही खूब ग़ज़ल हुई...."
51 minutes ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आदरणीय धामी जी सादर नमन करते हुए कहना चाहता हूँ कि रीत तो कृष्ण ने ही चलायी है। प्रेमी या तो…"
1 hour ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आदरणीय अजय जी सर्वप्रथम देर से आने के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ।  मनुष्य द्वारा निर्मित, संसार…"
1 hour ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . विविध
"आदरणीय जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय । हो सकता आपको लगता है मगर मैं अपने भाव…"
16 hours ago
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . विविध
"अच्छे कहे जा सकते हैं, दोहे.किन्तु, पहला दोहा, अर्थ- भाव के साथ ही अन्याय कर रहा है।"
19 hours ago
Aazi Tamaam posted a blog post

तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या

२१२२ २१२२ २१२२ २१२इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्यावैसे भी इस गुफ़्तगू से ज़ख़्म भर…See More
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"परम् आदरणीय सौरभ पांडे जी सदर प्रणाम! आपका मार्गदर्शन मेरे लिए संजीवनी समान है। हार्दिक आभार।"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . . . विविध

दोहा सप्तक. . . . विविधमुश्किल है पहचानना, जीवन के सोपान ।मंजिल हर सोपान की, केवल है  अवसान…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"ऐसी कविताओं के लिए लघु कविता की संज्ञा पहली बार सुन रहा हूँ। अलबत्ता विभिन्न नामों से ऐसी कविताएँ…"
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

छन्न पकैया (सार छंद)

छन्न पकैया (सार छंद)-----------------------------छन्न पकैया - छन्न पकैया, तीन रंग का झंडा।लहराता अब…See More
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service