आदरणीय साथिओ,
Tags:
Replies are closed for this discussion.
बहुत बहुत आभार आ मोहन बेगोवाल साहब
बहुत बहुत आभार आ ॐ प्रकाश साहब
बहुत बहुत आभार आ शशि बंशल जी
बेहद सुंदर कथा हुई है आदरणीय विनय सर | हार्दिक बधाई आपको |
बहुत बहुत आभार आपका आ कल्पना भट्ट जी
बहुत बहुत आभार आ शेख़ शहजाद साहब
आ. विनय जी सच कहा आपने ये मूक जितने वफ़ादार होते है ना उतने ही भावना प्रधान. हमारे हाथों का स्पर्श ही उन्हें प्यार व अपनापन और हमें अनंत सुख. मैं इसे महसूस करती हूँ रोज मगर देखिए ना मैं इन्हें शब्द ना दे पाई और आप ने इस सुख को लघुकथा में उतार दिया. बधाइ आपको
शायद ये मूक जानवर भावनाओं को बेहतर समझते हैं आ नयना कानित्कर जी| बहुत बहुत आभार इस टिप्पणी के लिए
हार्दिक बधाई आदरणीय विनय कुमार जी।प्रतीकों के माध्यम से एक बेहतरीन लघुकथा का सर्जन हुआ है।
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |