आदरणीय साथिओ,
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बहुत खूब आ० अन्नपूर्णा जी, क्या गजब कथा कह दी - वाह वाह वाह!! इस लघुकथा में निहित सन्देश बेहद उत्तम है, यदि स्त्री इतनी सशक्त हो जाये कि मर्दों के गलत निर्णयों के विरूद्ध कड़ी हो सके तो देश में भ्रूण हत्या इतिहास बनकर रह जाएगी. अंतिम पैरा अनावश्य रूप से विस्तार का शिकार हो गया है. "क्योंकि जब बाढ़ बांध तोड़ती है तो विनाश लाती है ।" यह शब्द लेखक द्वारा जबरदस्ती ठूंसे गए हैं, जो कथा को कमज़ोर कर रहे हैं. इसे कथा में लेखक का अनाधिकृत प्रवेश माना जाता है जिसकी कि मनाही है. बहरहाल, इस प्रभावोत्पादक लघुकथा हेतु ढेरों ढेर बधाई स्वीकार करें.
मेरी लघु कथा को आपका आशीर्वाद मिलना मेरे लिए सौभाग्य की बात है । आपके कहे का मैं ध्यान रखूंगी । सादर
वाह ! वाह! वाह! माई का जुझारूपन काबिले तारीफ है । आजकल ऐसी ही रचनाओं की आवश्यकता है जो समाज के लिए प्रकाश स्तंभ का कार्य करें । प्रस्तुत लघुकथा का कथानक, शिल्प व शीर्षक बाकमाल है । इस आयोजन की सर्वश्रेष्ठ रचनाओं में शामिल इस रचना हेतु असीम शुभकामनाएं । सादर
आपको लघु कथा अच्छी लगी , मेरा लिखना सफल हुआ , आदरणीय
औरत कभी भी इतनी कठोर नहीं हो सकती कभी तो उसका मन ममता के समक्ष द्रवित होगा .बहुत अच्छी लघु कथा हार्दिक बधाई आद० अन्नापूर्णा जी
आपका हार्दिक आभार दीदी
बहुत सही कहा ! आ0 नीता जी , ज़िंदगी बार-बार जश्न मनाने का मौका नहीं देती । ये बात हमारी नौजवान पीढ़ी को भलीभाँति समझनी ही चाहिए ।
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