आदरणीय साथिओ,
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हार्दिक आभार आदरणीय तस्दीक अहमद खान साहब जी।
हार्दिक आभार आदरणीय सीमा सिंह जी।
हार्दिक आभार आदरणीय वीर मेहता जी।
बढ़िया रचना है विषय पर, बधाई आपको
क्या खूब लघु कथा , बहुत बहुत बधाई आपको ।
परेशानी
मोहल्ले के कुत्तों ने एक बैठक आयोजित की ।
जो घरों में पल रहे थे उसमें से अधिकतर मोटे ताज़े नज़र आ रहे थे |
सड़को पर घूमने वालों ने इर्श्या वश उनसे कहा ," तुम्हारा क्या है , तुमको तो खूब माल मिलता है खाने पीने को , दूध मिलता है । और एक हमें देखो भटकते फिरते है कहीं कुछ अच्छा मिल जाये पर कभी कभी तो भूखे पेट ही सोना पड़ता है ।"
पालतू कुत्तों में से एक ने कहा ," इसमें हमारा क्या दोष , गर तुमको कोई पुचकारता नहीं है तो , कोई क्यों पिलाये तुमको दूध ? क्या तुम उनके तलवे चाटोगे ?"
सभी कुत्ते एक दूसरे का मुँह ताकने लगे |
मौलिक एवं अप्रकाशित |
धन्यवाद आदरणीय मोहम्मद आरिफ साहब |
जीवन में कुछ पाने के लिए जी हजूरी ज़रूरी है , शायद ये ही है आपकी कथा का अनकहा , कथा थोडा और वक्त मांगती है ,थोड़े से परिमार्जन से कथा बहुत निखर जायेगी .. हार्दिक बधाई आदरणीया कल्पना जी
जी दी प्रयास यही था | सादर धन्यवाद आदरणीया प्रतिभा दी |
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