For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सभी साहित्य प्रेमियों को प्रणाम !

साथियों जैसा की आप सभी को ज्ञात है ओपन बुक्स ऑनलाइन पर प्रत्येक महीने के प्रारंभ में "महा उत्सव" का आयोजन होता है, उसी क्रम में ओपन बुक्स ऑनलाइन प्रस्तुत करते है ......

"OBO लाइव महा उत्सव" अंक ८

इस बार महा उत्सव का विषय है "रिश्ते"

आयोजन की अवधि :- ८ जून बुधवार से १० जून शुक्रवार तक

महा उत्सव के लिए दिए गए विषय को केन्द्रित करते हुए आप सभी अपनी अप्रकाशित रचना साहित्य की किसी भी विधा में स्वयं द्वारा लाइव पोस्ट कर सकते है साथ ही अन्य साथियों की रचनाओं पर लाइव टिप्पणी भी कर सकते है | उदाहरण स्वरुप साहित्य की कुछ विधाओं का नाम निम्न है ...

विधाएँ
  1. तुकांत कविता
  2. अतुकांत आधुनिक कविता
  3. हास्य कविता
  4. गीत-नवगीत
  5. ग़ज़ल
  6. हाइकु
  7. व्यंग्य काव्य
  8. मुक्तक
  9. छंद [दोहा, चौपाई, कुंडलिया, कवित्त, सवैया, हरिगीतिका वग़ैरह] इत्यादि |

साथियों बड़े ही हर्ष के साथ कहना है कि आप सभी के सहयोग से साहित्य को समर्पित ओबिओ मंच नित्य नई बुलंदियों को छू रहा है OBO परिवार आप सभी के सहयोग के लिए दिल से आभारी है, इतने अल्प समय में बिना आप सब के सहयोग से कीर्तिमान पर कीर्तिमान बनाना संभव न था |

इस ८ वें महा उत्सव में भी आप सभी साहित्य प्रेमी, मित्र मंडली सहित आमंत्रित है, इस आयोजन में अपनी सहभागिता प्रदान कर आयोजन की शोभा बढ़ाएँ, आनंद लूटें और दिल खोल कर दूसरे लोगों को भी आनंद लूटने का मौका दें |

( फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो ०८ जून लगते ही खोल दिया जायेगा )

यदि आप अभी तक ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तो www.openbooksonline.com पर जाकर प्रथम बार sign up कर लें |

नोट :- यदि आप ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार के सदस्य है और किसी कारण वश महा इवेंट के दौरान अपनी रचना पोस्ट करने मे असमर्थ है तो आप अपनी रचना एडमिन ओपन बुक्स ऑनलाइन को उनके इ- मेल admin@openbooksonline.com पर ०८ जून से पहले भी भेज सकते है, योग्य रचना को आपके नाम से ही महा उत्सव प्रारंभ होने पर पोस्ट कर दिया जायेगा, ध्यान रखे यह सुविधा केवल OBO के सदस्यों हेतु ही है |

मंच संचालक

धर्मेन्द्र कुमार सिंह

Views: 6018

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

डॉ० संजय जी! आज के दौर के रिश्तों पर आधारित इस बेशकीमती ग़ज़ल के लिए बधाई स्वीकार करें !
धन्यवाद अम्बरीश जी।
rishte ki buniyaad par sundar ghazal. badhai
धन्यवाद आशीश जी।
//कमज़ोर आज रिश्तों की बुनियाद हो गई,
दिल के मुहल्ले की फ़िज़ा बेदाद हो गई।//
सच कहा मित्र ! आज के रिश्तों में वो दम कहाँ रहा ......

//तलवार ,धोखेबाज़ी की अपनों पे ही चले,
ग़ैरों का साथ देने में उस्ताद हो गई।//
आज का सच यही तो है की हमेशा अपने ही अपनों पर वार करते हैं.......

//विश्वास की नदी की जवानी थकी थकी,
मंझधार अब किनारों की अवसाद हो गई।//
बहुत खूब ......आज की स्थिति तो यही है मित्र !

//हर सिम्त बेवफ़ाई का तूफ़ान उठ रहा,
सांसों से फ़र्ज़ की हवा आज़ाद हो गई।//
सच कह मित्र बल्कि आज के दौर में फर्ज निभाना और बावफा होने पिछड़ेपन का द्योतक है

//अब दोस्ती की गाड़ी भी पैसों के दम चले,
हर चीज़, लाभ हानि की ही याद हो गई।//
वाकई पैसा तो आज का भगवन बन गया है .....

//मरता हुआ पड़ोसी भी दुश्मन लगे हमें,
दीवारे -कल्ब मोम से फ़ौलाद हो गई।//
क्या करें ! आज की इस कुत्सित सोंच का .........

//मां-बाप अब सराय के कमरों में पल रहे,
बूढे दरख्तों की दुआ बरबाद हो गई।//
यही तो स्थिति है आज के ये वृद्धाश्रम सराय से कमतर कतई नहीं !

//भाई दलाली कर रहा है बहनों के लिये,
अब रावणों सी राम की औलाद हो गई।//
क्या बेबाक कहा है मित्र! रावण तक इससे दूर ही रहता था ........आज की स्थिति तो उससे भी बदतर है ......

//चस्का लगा है पैसा बढाने का दानी यूं'
घर -घर गुनाहों की गली आबाद हो गई।//
सच है मित्र अब तो गुनाहों को भी गुनाह नहीं माना जाता .....महर्षि बाल्मीकी नें तो युगों-युगों पूर्व ही रामायण में यह सब लिख दिया है ........
इस खूबसूरत व बेबाक ग़ज़ल के लिए तहे दिल से आपको बधाई .......:))

अम्बरीश जी अपने मेरी गज़ल पर तन्क़ीद करने की जो ज़हमत उठाई है

उसके लिये मैं आपका तहे दिल शुक्रगुज़ार हूं।

आपका स्वागत है !

आदरणीय डॉ. दानी जी, बहुत ही ख़ूब लिखा आपने. रिश्तों के बदलते तापमान पर एक सटीक रचना है.
आखिर के तीन शेर
//मां-बाप अब सराय के कमरों में पल रहे,
बूढे दरख्तों की दुआ बरबाद हो गई।

भाई दलाली कर रहा है बहनों के लिये,
अब रावणों सी राम की औलाद हो गई।

चस्का लगा है पैसा बढाने का दानी यूं'
घर -घर गुनाहों की गली आबाद हो गई।// तो वाकई बहुत गहरा प्रहार करते हैं. हार्दिक बधाई स्वीकार करें.
रिश्ते हमने निभाए हैं ,
पापा के संग डांट (कडवा प्यार )  का रिश्ता ,
मम्मी के संग दुलार (मीठा प्यार ) का रिश्ता ,
दीदी (बहना ) के संग बंधन का रिश्ता ,
भाई के संग प्यार का रिश्ता ,
बीबी के संग तकरार का रिश्ता ,
बेटा बेटी के संग सनेह और प्यार का रिश्ता ,
समय बदला रिश्ते भी बदले ,
मगर नहीं बदला हैं अब तक ,
मानवता के रिश्ता .
kuch karan vas main abhi kolkata se bahar ja raha hu isliye is pe ye pahla aur antim coment hoga
सुन्दर अभिव्यक्ति , बधाई।
रिश्तों को बड़े करीने से परिभाषित किया है आपने गुरु जी |

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

धर्मेन्द्र कुमार सिंह posted a blog post

जो कहता है मज़ा है मुफ़्लिसी में (ग़ज़ल)

1222 1222 122-------------------------------जो कहता है मज़ा है मुफ़्लिसी मेंवो फ़्यूचर खोजता है लॉटरी…See More
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सच-झूठ

दोहे सप्तक . . . . . सच-झूठअभिव्यक्ति सच की लगे, जैसे नंगा तार ।सफल वही जो झूठ का, करता है व्यापार…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

बालगीत : मिथिलेश वामनकर

बुआ का रिबनबुआ बांधे रिबन गुलाबीलगता वही अकल की चाबीरिबन बुआ ने बांधी कालीकरती बालों की रखवालीरिबन…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक ..रिश्ते
"आदरणीय सुशील सरना जी, बहुत बढ़िया दोहावली। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर रिश्तों के प्रसून…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"  आदरणीय सौरभ जी सादर प्रणाम, प्रस्तुति की सराहना के लिए आपका हृदय से आभार. यहाँ नियमित उत्सव…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, व्यंजनाएँ अक्सर काम कर जाती हैं. आपकी सराहना से प्रस्तुति सार्थक…"
Sunday
Hariom Shrivastava replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आपकी सूक्ष्म व विशद समीक्षा से प्रयास सार्थक हुआ आदरणीय सौरभ सर जी। मेरी प्रस्तुति को आपने जो मान…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आपकी सम्मति, सहमति का हार्दिक आभार, आदरणीय मिथिलेश भाई... "
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"अनुमोदन हेतु हार्दिक आभार सर।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन।दोहों पर उपस्थिति, स्नेह और मार्गदर्शन के लिए बहुत बहुत आभार।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ सर, आपकी टिप्पणियां हम अन्य अभ्यासियों के लिए भी लाभकारी सिद्ध होती रही है। इस…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक आभार सर।"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service