आदरणीय साथिओ,
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आदरणीय सर,
घटनाक्रम को लिखना, और आँखों देखी किसी घटना को महसूस कर उसको कथा का रूप देना, यह आपके लेखन में महसूस किया है मैंने, आप को जबसे पढ़ रही हूँ, आप के ऑब्जरवेशन को समझने का प्रयास करती रहती हूँ, आप कहाँ से किसी एक छोटे के कण से एक सुंदर बाग़ का निर्माण कर लेते हैं, आपकी लेखनी में हमेशा से एक अलग अंदाज़ दिखाई दिया है और सच कहूँ तो मिटटी की खुशबू पाती हूँ, अब आप चाहें हँसे या जो भी हो, पर मिटटी की खुशबू जब भी आती है लगता है ज़मीन की कहानी है, सो प्रश्न पूछने की गुस्ताखी कर लेती हूँ| आपको दिल से धन्यवाद सर|
आपकी कथा से हम सभी को सीखना मिलता है| कितनी आसानी से और सरल शब्दों में आप एक कथा को गढ़ लेते है| साधुवाद आदरणीय| इस बेमिसाल कथा के लिए हार्दिक बधाई सर|
ज़मीन से जुड़ा हुआ आदमी हूँ भाई सुरेन्द्र कुमार सिंह जी, तो ज़मीन से जुड़ी बात करना अच्छा लगता है.
बहुत बहुत शुक्रिया आ० नीता कसार जी.
हार्दिक आभार सीमा सिंह जी.
रचना की सराहना के लिए ह्रदयतल से आभार आ० मनन कुमार सिंह जी.
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