आदरणीय काव्य-रसिको,
सादर अभिवादन !
’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का आयोजन लगातार क्रम में इस बार 79 वाँ आयोजन है.
आयोजन हेतु निर्धारित तिथियाँ –
17 नवंबर 2017 दिन शुक्रवार से 18 नवंबर 2017 दिन शनिवार तक
इस बार पुनः छंदों की पुनरावृति हो रही है -
सरसी छंद और कामरूप छंद
हम आयोजन के अंतरगत शास्त्रीय छन्दों के शुद्ध रूप तथा इनपर आधारित गीत तथा नवगीत जैसे प्रयोगों को भी मान दे रहे हैं. छन्दों को आधार बनाते हुए प्रदत्त चित्र पर आधारित छन्द-रचना तो करनी ही है, चित्र को आधार बनाते हुए छंद आधारित नवगीत या गीत या अन्य गेय (मात्रिक) रचनायें भी प्रस्तुत की जा सकती हैं.
साथ ही, रचनाओं की संख्या पर कोई बन्धन नहीं है. किन्तु, उचित यही होगा कि एक से अधिक रचनाएँ प्रस्तुत करनी हों तो छन्द बदल दें.
केवल मौलिक एवं अप्रकाशित रचनाएँ ही स्वीकार की जायेंगीं.
कामरूप छन्द के मूलभूत नियमों से परिचित होने के लिए यहाँ क्लिक...
सरसी छन्द के मूलभूत नियमों से परिचित होने के लिए यहाँ क्लिक करें
जैसा कि विदित है, अन्यान्य छन्दों के विधानों की मूलभूत जानकारियाँ इसी पटल के भारतीय छन्द विधान समूह में मिल सकती है.
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आयोजन सम्बन्धी नोट :
[प्रस्तुत चित्र अंतर्जाल से]
फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 17 नवंबर 2017 दिन शुक्रवार से 18 नवंबर 2017 दिन शनिवार तक यानी दो दिनों केलिए रचना-प्रस्तुति तथा टिप्पणियों के लिए खुला रहेगा.
अति आवश्यक सूचना :
छंदोत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...
"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ
"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के पिछ्ले अंकों को यहाँ पढ़ें ...
विशेष :
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मंच संचालक
सौरभ पाण्डेय
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम
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सुधीजनों का आयोजन में हार्दिक स्वागत है !
आदरणीय सौरभ भाईजी आपका भी स्वागत है। छंदोत्सव- 79 के लिए शुभकामनाएँ।
प्रथम प्रस्तुति [ कामरूप छंद ]
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माता तुम्हारी, राम प्यारी, गई प्रभु के धाम।
सम्पन्न घर हो, श्रेष्ठ वर हो, ढूँढना है काम॥
बेटी बिदाकर, मुक्त होकर, करूँ प्रभु को याद।
मैं आज जाऊँ, ढूँढ लाऊँ, योग्य घर दामाद॥
मानव बदन में, वृद्ध तन में, शक्ल ही है सार।
दाढ़ी बनाऊँ, छुरी लाऊँ, तेज जिसकी धार॥
बेटी सयानी, गुणी ज्ञानी, आ गई तत्काल।
पानी लगा दी, खुद बना दी, हुए चिकने गाल॥
मौलिक एवं अप्रकाशित
उनकी नज़र से.. :-))
आदरणीय सुरेन्द्र भाई
वाह ! बहुत सुंदर , आपकी छंदमय प्रतिक्रिया अच्छी लगी। रचना की प्रशंसा के लिए हृदय से धन्यवाद, आभार।
आदरणीय रामबली भाई
रचना की प्रशंसा के लिए हृदय से धन्यवाद, आभार।
आदरणीय आरिफ भाई
रचना की प्रशंसा के लिए हृदय से धन्यवाद, आभार।
आदरणीय अखिलेश भाई जी, चित्र को परिभाषित करते छंद के लिए हार्दिक बधाई बधाई बधाई ! ..
एक बात आपने भी महसूस की होगी. जिस-जिस पद में पहले दो चरण २२१२२ २१२२ के विन्यास में हैं वहीं गेयता सहज है. कामरूप के लिए ऐसे विन्यास की अनिवार्यता नहीं होती हुई भी गेयता के लिए मान्य है.
पुनः आपकी रचना से आयोजन का शुभारंभ हुआ है इस हेतु विशेष बधाइयाँ
सादर
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