आदरणीय साथिओ,
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रचना पर समय देकर अनुमोदन और हौसला अफ़ज़ाई के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत शुक्रिया मुहतरम जनाब सतविंद्र कुमार राणा साहिब।
बहुत बेहतरीन कटाक्ष :अगर आपको एक चश्मा पसंद नहीं आ रहा तो दूसरा लगा लीजिये ।अपना -अपना इतिहास लिखने की राजनीति पर सुंदर लेखन ।
रचना के बारीक अवलोकन, अनुमोदन और हौसला अफ़ज़ाई के लिए हार्दिक धन्यवाद आदरणीया संगीता गांधी जी।
बहुत सुंदर लघुकथा कही है आदरणीय शहजाद जी| हार्दिक बधाई|
हार्दिक बधाई आदरणीय शेख उस्मानी जी।बेहतरीन लघुकथा।वर्तमान परिवेश को आंइना दिखाती शानदार प्रस्तुति।
अनुमोदन और हौसला अफ़ज़ाई के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत शुक्रिया मुहतरम जनाब तेजवीर सिंह साहिब।
बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीया कल्पना भट्ट जी।
वाह। बेहतरीन। दिलचस्प और विचारोत्तेजक
बहुत-बहुत शुक्रिया मुहतरम जनाब अजय गुप्ता जी।
एकदम चुस्त , कसी हुई सार्थक , सारगर्भित प्रस्तुति । अधिक गौर किया जाए तो ये रचना एक साथ कई भाव लिये हुए दिखती है । व्यंग्य भी है , पीड़ा भी है , शिकायत भी है और बहस भी । हार्दिक बधाई देती हूँ इस सुंदर रचना के लिए । सादर ।
मेरी इस प्रविष्टि पर शिरक़त फ़रमाकर रचना के मर्म तक जाकर इस सुंदर व प्रोत्साहक टिप्पणी के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीया शशि बंसल जी।
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