आदरणीय साथिओ,
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आदाब। जैसा कि मैंने अपनी पिछली टिप्पणी में लिखा है कि यह गोष्ठी भी अद्वितीय होने जा रही है। आपकी रचना की प्रतीक्षा के बाद जब लघुकथा का अद्वितीय शीर्षक पढ़ा तो जिज्ञासा बढ़ी और जब जिज्ञासा बढ़ाती हुई प्रवाहमय रचना पढ़ी तो धूल युक्त वह पन्ना आंखों के सामने फड़फड़ाने लगा और जब भारत माता के सवाल के जवाब में कथनोपकथन पढ़े तो जिज्ञासा का एक और तूफान उठा और फटी हुई आंखें आगे का बेहद प्रभावशाली विचारोत्तेजक भाग पढ़ते हुए आपकी बेहतरीन प्रतीकात्मक शैली से प्रभावित होकर पाठकमन धन्य हुआ। उस पन्ने और टंगे हुए मानचित्र के बिम्बों में बेहद कड़वे सच को बेहतरीन ढंग से शाब्दिक किया गया है। अंतिम दोनों पंक्तियों को पढ़कर हर सच्चा भारतीय पाठक अपने आंसुओं को रोक नहीं सकता। बेहतरीन सृजन के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत मुबारकबाद और आभार आदरणीय मंच संचालक महोदय श्री योगराज प्रभाकर साहिब।
इतने मनोयोग से दी गई इस विस्तृत टिप्पणी हेतु हार्दिक आभार भाई उस्मानी जी.
(1). पंजाब-हरियाणा तम्बाकू में शीरा मिक्स करने की प्रक्रिया को तमाखू (तम्बाकू) "मोणा" (मोना) बोलते हैं "समोना" नहीं सतविन्द्र भाई.
(2). पन्ना फड़फड़ा रहा था तभी तो नज़र आया. अगर पूरा ही दबा होता हो क्या भारत माता की दृष्टि उसपर पड़ती?
मेरी जिज्ञासा समाधान के लिए उपस्थित होने के लिए सादर आभार सर।
१.समोए..?
२.जैसा आपने सुझाया यह कल्पना मेरे मन में तक भी पहुंच ही गई थी। पर विवरण में यह स्पष्ट नहीं थी इसी लिए संशय उभरा।
सादर वन्दन आचार्य!
जी। बहुत-बहुत शुक्रिया। दूसरी बार जो 'एक पन्ना' आया है, उसे 'वह पन्ना' कर सकते हैं न।
आदरणीय योगराज जी
क्या इतिहास है और क्या हो सकता था. इतिहास में हुई भूलों को वर्तमान किस प्रकार भुगत रहा है उस का सजीव चित्रण.
इस कथा को प्रस्तुत करने हेतु हार्दिक धन्यवाद
बहुत बहुत शुक्रिया भाई अजय कुमार अजेय जी.
आपकी अब तक कि लघुकथाओं में से सर्वश्रेष्ठ लघुकथा ।मेरे लिए कालजयी । इसका कथानक मेरे मस्तिष्क से कभी नहीं निकलेगा । / कक्ष का प्रतिबंधित क्षेत्र/ इस एक पंक्ति ने ही आपके लेखकीय कौशल और विषय की सूक्ष्मता पर आपकी पकड़ दर्शा दी । इस सर्वोत्तम प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें आद0 योगराज प्रभाकर सर जी ।
इस स्नेहसिक्त टिप्पणी के लिए दिल से आपका शुक्रिया अदा करता हूँ शशि बंसल जी.
आ. योगराज सर, आपकी इस लाजवाब लघुकथा से बहुत कुछ सीखने को मिला. दृश्य-चित्रण, कल्पना और शीर्षक तीनों अद्भुत हैं. हमेशा की तरह एक और शानदार लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए सर. सादर.
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