आदरणीय साथिओ,
Tags:
Replies are closed for this discussion.
रचना 90% मुझे पत्रात्मक शैली की ही लगी। कोई कठिन शब्दों के प्रयोग के बिना भी समझने में दुरूह या बोझिल क्यूं लगी, कृपया यह भी बताइयेगा। सुझाव के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत शुक्रिया। रचना पर समय देने के लिए भी बहुत-बहुत शुक्रिया मुहतरम जनाब मोहम्मद आरिफ़ साहिब।
आद0 शहज़ाद उस्मानी जी सादर अभिवादन। थोड़ी बोझिल लगी यह लघुकथा।समझने में भी थोड़ा समय लगा। आप इसे बेहतर समझ सकते हैं।बहरहाल इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार कीजिये।
भाई उस्मानी जी, रचना पर अधिक कुछ न कहकर केवल इतना ही कहूँगा कि रचना का विषय बहुत सुन्दर है लेकिन उसका ट्रीटमेंट थोड़ा बोझिल सा हो गया है. जैसा की वरिष्ठ मित्रों ने सुझाया है कि रचना को डायरी या पात्र शैली में लिखा जाता तो और उम्दा होता, मैं भी सहमत हूँ. लेकिन यदि प्रस्तुत रचना में भी पत्र को फाड़ने के बजाय उसी पत्र के नीचे ज्व्वाब देते हुए पत्र को वापिस वही रखना भी एक कांसेप्ट बन सकता था.... बरहाल प्रस्तुत रचना के लिए बधाई स्वीकार करे भाई जी
//केवल इतना ही कहूँगा// !... कृपया अपनी पूरी बात कह कर बताइए कि लघुकथा हुई या नहीं। आखिर इस तरह रचना कहने का तात्पर्य क्या समझा गया? इस पत्रात्मक शैली में दृशयांकन की कोशिश में क्या कमी रह गई जिससे यह पाठकों को बोझिल/ विषयांतर/ अनावश्यक विवरण वाली लगी? यह सब मुझे रचना में सुधार करने और पत्रात्मक शैली की सीमाओं को समझने में मदद मिलेगी। //पत्र को फाड़ने के बजाय उसी पत्र के नीचे ज्व्वाब देते हुए पत्र...// यह सुझाव बढ़िया है। लेकिन पत्नि के दोनों पत्र अॉटो-चालक पति द्वारा फाड़े जाने में भी कुछ अनकहा है?
रचना पर समय देकर टिप्पणी के लिए हार्दिक धन्यवाद आदरणीय वीरेंद्र वीर मेहता साहिब।
अच्छी लघुकथा | पर कुछ कम की जा सकती है अधिक विस्तार ले ली है|\ सादर\
दरअसल मैं वह सब विवरण के साथ पत्रात्मक सम्प्रेषण चाह रहा था। आप सभी की सलाह पर काम करूंगा इस पर। बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीया कल्पना भट्ट "
रौनक'" जी।
जी लगूकथा के हिसाब से रचना थोड़ी बड़ी है । पर बहुत बढ़िया है। सादर बतौर पाठक। अन्यथा न लोजियेगा।
कहते हैं कि यदि ज़रूरी हो और एकांगी भाव हो, तो 700-1000शब्दों तक की लघुकथा हो सकती है। यह असफल लव-मैरिज के दम्पत्ति के शारीरिक और मानसिक युद्ध में पराजित योद्धाओं के एकांगी भाव पर केंद्रित रचना प्रयास है, जिसे संकलन के समय परिमार्जित करने की कोशिश करूंगा।
रचना पर समय देकर हौसला अफ़ज़ाई के लिए बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय सुरेंद्र इंसान जी। दरअसल इसमें तलाक़ का एक उपेक्षित पक्ष उभार कर पुरुष के पक्ष में लिखा गया है, जो समर्थन हासिल नहीं कर पा रहा है पाठकों से। यही बात मुस्लिम पीड़ित महिला को उभार कर कहते, तो समर्थन मिलता। मीडिया ने तलाक़ पर मर्दों की ही छीछालेदर की है, जबकि महिला ही 80% ज़िम्मेदार होती है ग़लत तरीक़े से तलाक़ के लिए उकसाने के लिए। मीडिया नेताओं के अनुसार कवरेज दिखाता है। सो सोरी ।
वाह! नए नज़रिए से लिखा आपने ,बहुत बढ़िया कथा बनी ये।हार्दिक बधाई शहज़ाद जी
रचना पर समय देकर यूं हौसला अफ़ज़ाई के लिए बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीया जानकी बिष्ट वाही जी। कृपया उपरोक्त टिप्पणियों के आधार पर भी अपनी राय व मार्गदर्शन दीजियेगा।
कथा/ लघु कथा या लघुकथा? क्या?
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |