आदरणीय साथिओ,
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हौसला अफजाई के लिए दिली शुक्रिया आदरणीय।
हौसला अफजाई का शुक्रिया माननीय ।
आजादी अनमोल है जो वक्त वक्त पर अपने होने का अहसास कराती है संदेशप्रद कथा के लिये बधाई आद०कनक हरतालिका जी ।
हार्दिक आभार आदरणीय ।
आदरणीय कनक हरलालका जी, 'स्वतंत्रता' को आधार बनाकर एक तीक्ष्ण व्यंग्य कसा गया है। स्वतंत्रता के कार्यक्रम 'मंत्री जी' के इर्द गिर्द ही घूमते रहते है और इन सब के बीच 'भारत' को अकेला छोड़ दिया जाता है। लघुकथा की अंतिम पंक्ित / हां यार ,आज मैं कुछ भी न कर सकने ,या फिर कुछ भी कर सकने के लिए स्वतंत्र हूं ।/ बहुत मारक बनी है जो अपने आपमें सब कुछ कह जाती है। विषय से पूरी तरह न्याय करती इस लघुकथा के लिए हार्दिक शुभकामनाएं ।
प्रयास को मान देने व प्रोत्साहनात्मक समीक्षा के लिए हार्दिक आभार आदरणीय रवि प्रभाकर जी ।
जनाब कनक जी आदाब,प्रदत्त विषय से न्याय करती बहतरीन लघुकथा लिखी आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
हार्दिक आभार आदरणीय ।
जिन्होंने पराधीनता के कष्ट नहीं भोगे वे भी यदि शिक्षा के अनुसार स्वाधीनता दिवस आज़ाद होकर मनाना चाहते हैं तो उनके लिए ऐसे विषम हालात नहीं रचे जाने चाहिए बहुत से सवाल उठाती विचारोत्तेजक रचना के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत मुबारकबाद आदरणीया कनक हरलल्का जी। शीर्षक बेहतर हो सकता है। सादर।
प्रोत्साहनात्मक समीक्षा के लिए आभार आदरणीय ।
जिसका आभार व्यक्त कर रहे हैं,उसका नाम भी लिख दिया करें,आ.कनक जी ।
आ. कनक जी, सुंदर कथा हुई है । हार्दिक बधाई ।
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