For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

समाज - लघुकथा –

गौरीशंकर जी की आँख खुली तो अपने आप को शहर के सबसे बड़े अस्पताल के वी आई पी रूम में पाया। उनकी तीस जून को रिटायरमेंट थी। सारा विद्यालय तैयारी में लगा था क्योंकि वे विद्यालय के  लोकप्रिय हैड मास्टर जो थे।

"कैसे हो मित्र"? उनके परम मित्र श्याम जी ने प्रवेश किया।

"भाई, मैं यहाँ कैसे"?

"कोई खास बात नहीं है? रिटायरमेंट वाले दिन मामूली सा अटैक आया था| चक्कर आये थे। बेहोश हो गये थे"?

"यार, मुझे तो कभी कोई शिकायत नहीं थी"?

"अरे यार कुछ बातें अचानक ही होती हैं"?

"हाँ कुछ दिन से मैं कुछ ज्यादा ही उलझा हुआ था। मन में कई सवाल थे। बच्चे दोनों विदेश में हैं। वे जिद कर रहे थे कि उनके पास आ जाओ, मगर मैं यहाँ की जमींन जायदाद छोड़कर नहीं जाना चाहता था”?

"मगर मित्र, अब परिस्थिति बदल चुकी है। तुम्हारी देखभाल यहाँ कौन करेगा"?

"हाँ यार, मेरी पत्नी तो मुझे बरसों पहले ही मँझधार में छोड़ गयी। लोगों ने बहुत कहा था कि दूसरा ब्याह कर लो। लेकिन मैंने बच्चों के भविष्य को प्राथमिकता दी"?

"पर भाई, अब तुम्हारे बच्चे तो अपनी अपनी गृहस्थी में उलझ गये"।

"हाँ मित्र इसी का नाम जीवन है"?

"मेरे पास एक सुझाव है, तुम्हारे लिये"?

"कैसा सुझाव"?

"तुम शादी कर लो"?

"क्यों मज़ाक़ करते हो। शादी और इस उम्र में"?

"मजाक़ नहीं भाई। मैं गंभीरता से सलाह दे रहा हूँ। उम्र को छोड़ो और जरूरत को ध्यान में रखो"?

"पर कोई ऐसा साथी मिले भी तो"?

"वह भी है मेरी नज़र में"?

"कौन है"?

"निर्मला, तुम्हारे ही विद्यालय की विधवा संगीत अध्यापिका। वही तुम्हारी सेवा कर रही थी यहाँ। मैंने उससे बातों बातों में पूछा था"?

"मगर मित्र, समाज और मेरे बेटे क्या कहेंगे"?

"यार, यह सब सोचोगे तो फिर अटैक पड़ जायेगा"?

 मौलिक एवम अप्रकाशित

Views: 587

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by TEJ VEER SINGH on July 19, 2018 at 5:57pm

हार्दिक आभार आदरणीय नीलम उपाध्याय जी।

Comment by Neelam Upadhyaya on July 19, 2018 at 3:52pm

आदरणीय तेजवीर सिंह जी, नमस्कार। बहुत ही अच्छी लघुकथा की प्रस्तुति के लिए  हार्दिक बधाई। 

Comment by TEJ VEER SINGH on July 19, 2018 at 8:44am

हार्दिक आभार आदरणीय शेख उस्मानी जी।

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on July 18, 2018 at 11:32pm

ज़िन्दगी के एक अहम मोड़ पर सामाजिक सरोकार की समसामयिक सकारात्मक रचना। हार्दिक बधाई और आभार मार्गदर्शन हेतु आदरणीय तेजवीर सिंह  साहिब।

Comment by TEJ VEER SINGH on July 18, 2018 at 10:16pm

हार्दिक आभाअर आदरणीय तस्दीक अहमद खान साहब जी।

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on July 18, 2018 at 9:53pm

मुहतरम जनाब तेज वीर साहिब, आजकल के हालात को बयान करती सुंदर लघुकथा हुई है मुबारकबाद क़ुबुल फरमाएं l

Comment by TEJ VEER SINGH on July 18, 2018 at 7:26pm

हार्दिक आभार आदरणीय समर क़बीर साहब जी।

Comment by Samar kabeer on July 18, 2018 at 12:12pm

जनाब तेजवीर सिंह जी आदाब, अच्छी लघुकथा लिखी आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

Comment by TEJ VEER SINGH on July 18, 2018 at 11:22am

हार्दिक आभार आदरणीय बसंत कुमार जी।

Comment by बसंत कुमार शर्मा on July 18, 2018 at 10:22am

वाह लाजबाब , प्रेरक लघुकथा , बहुत बहुत बधाई आपको 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"2122 - 1212 - 22/112 देखता हूँ कि अब नया क्या है  सोचता हूँ कि मुद्द्'आ क्या…"
44 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है, मुबारकबाद क़ुबूल फ़रमाइये।…"
52 minutes ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदाब, मुसाफ़िर साहब, अच्छी ग़ज़ल हुई खूँ सने हाथ सोच त्यों बर्बर सभ्य मानव में फिर नया क्या है।३।…"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय 'अमित' जी आदाब, उम्दा ग़ज़ल के साथ मुशायरा का आग़ाज़ करने के लिए दाद के साथ…"
1 hour ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"जी, ध्यान दिलाने का बहुत शुक्रिया। ग़ज़ल दोबारा पोस्ट कर दी है। "
1 hour ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"नमन, रिया जी , खूबसूरत ग़ज़ल कही, आपने बधाई ! मतला भी खूसूरत हुआ । "मूसलाधार आज बारिश है…"
1 hour ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आसमाँ को तू देखता क्या हैअपने हाथों में देख क्या क्या है /1 देख कर पत्थरों को हाथों मेंझूठ बोले वो…"
1 hour ago
Prem Chand Gupta replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"इश्क में दर्द के सिवा क्या है।रास्ता और दूसरा क्या है। मौन है बीच में हम दोनों के।इससे बढ़ कर कोई…"
1 hour ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय Sanjay Shukla जी आदाब  ओ.बी.ओ के नियम अनुसार तरही मिसरे को मिलाकर  कम से कम 5 और…"
2 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"नमस्कार, आ. आदरणीय भाई अमित जी, मुशायरे का आगाज़, आपने बहुत खूबसूरत ग़ज़ल से किया, तहे दिल से इसके…"
2 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"2122 1212 22 बेवफ़ाई ये मसअला क्या है रोज़ होता यही नया क्या है हादसे होते ज़िन्दगी गुज़री आदमी…"
2 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"धरा पर का फ़ासला? वाक्य स्पष्ट नहीं हुआ "
2 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service