आदरणीय साथिओ,
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गाय को प्रतीक बना आपने आज की ज्वलंत समस्या पर प्रकाश डाला है ।बधाई कथा के लिये आद० विनय कुमार जी ।
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विषयानुकूल बढ़िया लघुकथा है आदरणीय विनय जी। यदि इसे थोड़ा सा संपादित कर देंगे तो यह और बढ़िया हो जाएगी। मेरी तरफ़ से हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए। सादर।
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जनाब विनय कुमार साहिब, प्रदत्त विषय पर सीख देती सुंदर लघुकथा हुई है मुबारकबाद क़ुबुल फरमाएं l
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जनाब विनय कुमार जी आदाब,प्रदत्त विषय को सार्थक करती अच्छी लघुकथा हुई है,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
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सटीक, बेहतरीन लघुकथा विनय जी ।अंधी आस्था में तथाकथित भक्त गाय माता को आदर देते हैं पर स्त्री जाति के प्रति संवेदनहीनता उनके इस दिखावे को उघाड़ कर रख देती है ।
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