For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

शान्ति ....

वर्तमान के पृष्ठों पर
विध्वंसकारी स्याही से
भविष्य का सृजन करने वालो
होश में आओ
विनाश की कालिख़ से
कहीं आने वाले कल का
दम न घुट जाए

तुम

नए युग के निर्माण के लिए
संगीनों को
खून की स्याही में डुबोकर
आने वाले कल का
शृंगार करते हो
और हम
पवन के पृष्ठों पर
ॐ शान्ति ॐ शान्ति ॐ शान्ति
के सुवासित सन्देश से
नव युग के निर्माण का
आह्वान करते हैं

विपरीत परिस्थितियां
विपरीत सोच
इक तरफ
जीत के जूनून में छुपा
कहीं हार का ख़ौफ़
दूसरी तरफ
जीत -हार की हदों को तोड़ता
ॐ शान्ति का सन्देश


क्या स्वीकार हो पायेगा
नव युग के निर्माण हेतु
हदों के मिलन का
ये
ॐ शान्ति का
शंखनाद

सुशील सरना

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 431

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on September 16, 2018 at 12:40pm

आदरणीय विजय निकोर जी, सादर प्रणाम .... सृजन आपकी आत्मीय प्रशंसा का दिल से आभार।

Comment by Sushil Sarna on September 7, 2018 at 5:32pm

आदरणीय Naveen Mani Tripathi जी सृजन की गहनता को अपनी सहमति देती प्रतिक्रिया से अलंकृत करने का दिल से आभार।

Comment by Naveen Mani Tripathi on September 7, 2018 at 4:59pm

पवन के पृष्ठों पर 

ॐ शान्ति ॐ शान्ति ॐ शान्ति 

के सुवासित सन्देश से 

नव युग के निर्माण का 

आह्वान करते हैं

वाह बहुत सुन्दर आदरणीय । अत्यंत सामयिक हस्ताक्षर ।

Comment by Sushil Sarna on September 7, 2018 at 12:46pm

आदरणीय समर कबीर साहिब , आदाब ..... जी सृजन पर आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से शुक्रिया।

Comment by Sushil Sarna on September 7, 2018 at 12:46pm

आदरणीय मो आरिफ साहिब , आदाब .... बन्दे के सृजन को इतना आत्मीय मान देने का दिल की असीम गहराईयों से शुक्रिया।

Comment by Samar kabeer on September 7, 2018 at 10:23am

जनाब सुशील सरना जी आदाब,अच्छी कविता लिखी आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

Comment by Mohammed Arif on September 6, 2018 at 10:29pm

आदरणीय सुशील सरना जी आदाब,

                             आपकी अब तक की सर्वश्रेष्ठ कविता की श्रेणी में इस कविता को रखना चाहूँगा । आज हर देश में शांति की आवश्यकता है । वैश्विक संदेश देती रचना के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
6 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
6 hours ago
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
9 hours ago
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
9 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश जी, बहुत धन्यवाद"
9 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम जी, बहुत धन्यवाद"
9 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम जी सादर नमस्कार। हौसला बढ़ाने हेतु आपका बहुत बहुत शुक्रियः"
9 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service