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कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ

२१२२ १२१२ २२/११२

तमतमा कर बकी हुई गाली

कापुरुष है, जता रही गाली

 

भूल कर माँ-बहन व रिश्तों को
कोई देता है बेतुकी गाली

 

कुछ नहीं कर सका बुरा मेरा
खीझ उसने उछाल दी गाली 

 

ढंग-व्यवहार के बदलने से
हो गयी विष बुझी वही गाली
 
कब मुलायम लगी कठिन कब ये
सोचना कब दुलारती गाली
 
कौन कहिए यहाँ जमाने में
अदबदा कर न दी कभी गाली
 
नाज से तुम सहेज कर रखना
संस्कारों पली-बढ़ी गाली
***
मौलिक व अप्रकाशित

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Comment by मिथिलेश वामनकर 2 hours ago

आदरणीय सौरभ सर, गाली की रदीफ और ये काफिया। क्या ही खूब ग़ज़ल कही है। इस शानदार प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on Friday

आदरणीय धर्मेन्द्र भाई, आपसे एक अरसे बाद संवाद की दशा बन रही है. इसकी अपार खुशी तो है ही, आपके अनुमोदन से इस प्रस्तुति और मेरे रचनाकर्म को समर्थन मिल रहा है, सो अलग. हार्दिक धन्यवाद, भाईजी. 

आपने जो तुरंता/ फिलबदीह शेर अपनी ट्प्प्पणी के साथ साझा किया है, वह इसी भाव का सुंदर प्रतिरूप है. 
जय-जय 

 

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on Thursday

बेहद मुश्किल काफ़िये को कितनी खूबसूरती से निभा गए आदरणीय, बधाई स्वीकारें

सब की माँ को जो मैंने माँ समझा

भूल से भी न दी कभी गाली


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on September 8, 2025 at 11:32am

प्रस्तुति के अनुमोदन और उत्साहवर्द्धन के लिए आपका आभार, आदरणीय गिरिराज भाईजी. 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 7, 2025 at 6:47pm

आदरणीय सौरभ भाई , ' गाली ' जैसी कठिन रदीफ़ को आपने जिस खूबसूरती से निभाया है , काबिले तारीफ़ है , सभी  शेर  सामयिक और सार्थक लगे , ख़ास कर ये दो शेर , 

कुछ नहीं कर सका बुरा मेरा
खीझ उसने उछाल दी गाली  

कब मुलायम लगी कठिन कब ये
सोचना कब दुलारती गाली

ग़ज़ल के लिए आपको हार्दिक बधाईयाँ 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on September 6, 2025 at 9:37am

आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपसे मिले अनुमोदन हेतु आभार

Comment by Chetan Prakash on September 5, 2025 at 7:54pm

मुस्काए दोस्त हम सुकून आली

संस्कार आज फिर दिखा गाली

 

वाहहह क्या खूब  ग़ज़ल ' गाली' हुई।  हार्दिक बधाई,  आदरणीय,  भाई  सौरभ पाण्डेय  जी !


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on September 3, 2025 at 1:26pm

आपको प्रयास सार्थक लगा, इस हेतु हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय लक्ष्मण धामी जी. 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on September 2, 2025 at 1:36pm

आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। सुंदर, सार्थक और वर्मतमान राजनीनीतिक परिप्रेक्ष में समसामयिक रचना हुई है। बहुत बहुत हार्दिक बधाई।


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 30, 2025 at 11:14am

आदरणीय सुशील सरनाजी, आपके अनुमोदन के लिए हार्दिक आभार

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