आदरणीय साथिओ,
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लघुकथा पर आपकी बधाई हेतु आपका बहुत बहुत धन्यवाद .
बेहतरीन विषयान्तर्गत रचना,हार्दिक बधाई स्वीकार कीजियेगा आदरणीया अनीतादी।
लघुकथा पर आपकी बधाई हेतु आपका बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीया बबीता गुप्ता जी.
आदरणीया अनिता जी , अच्छी लघुकथा की प्रस्तुति के लिए बधाई स्वीकार करें । सादर
लघुकथा पर आपकी बधाई हेतु आपका बहुत बहुत धन्यवाद .
सम्मानीय लेखिका महोदय, लघुकथा के माध्यम से आपने एक बार फिर दहेज का ज्वलंत मुद्दा उठाने का प्रयास किया है और ये सोचने पर विवश किया है कि महिला सशक्तिकरण के दौर में भी हमारा समाज कब जागरूक होगा। यदि ये मान भी लिया जाए कि दहेज का लेन-देन बंद हो गया है और लोग अच्छी बहू को प्राथमिकता देने लगे हैं, लेकिन फिर भी शादियों में दिखावा और फिजूलखर्ची इतनी अधिक हो गई है कि गरीब परिवारों को बेटी की शादी की चिंता उनके जन्म के साथ ही होने लगी है। आज जब हम ये देखते हैं कि समाज सुधार के लिए कई महत्वपूर्ण निर्णय आ रहे हैं और लागू भी हो रहे हैं तब ये जरूरी हो जाता है कि वैवाहिक समारोह के बारे में भी नियम-कायदे तय हो जाएं ताकि शादियों में होने वाली खाने और पैसे की फिजूलखर्ची पर सख्ती से रोक लगाई जा सके। बेटी बचाने और लिंगानुपात को सुधारने के लिए ये आवश्यक है, परंतु पता नहीं क्यों फिजूल बहस में पढ़ने वाले लोग ऐसे सामाजिक सुधार के मसले पर चुप रह जाते हैं। आपकी लघुकथा इस सुधार की उम्मीद भी जगाती है। बधाई
लघुकथा पर आपकी बधाई एवं विस्तृत विवेचना हेतु आपका बहुत बहुत धन्यवाद .
बढ़िया रचना आदरणीय अनिता जी ,बधाई आपको ,सादर
लघुकथा पर आपकी बधाई हेतु आपका बहुत बहुत धन्यवाद .
आ अनीता जी अच्छी लघुकथा बन पड़ी है। मजबूरी वश इंसान आखिरकार उम्मीदें बांध ही लेता है। बधाई।
हार्दिक बधाई आदरणीय अनिता जी।लघुकथा गोष्ठी का शुभारंभ करने हेतु।लघुकथा को जिस प्रकार आपने शुरू किया था मुझे एक अच्छी लघुकथा की उम्मीद जागी थी। लेकिन अंत आते आते मेरी सारी उम्मीदों पर पानी फिर गया।आपकी लघुकथा एक औसत रचना बन कर रह गयी।आदरणीय शेख उस्मानी जी ने ठीक ही कहा कि यह एक टी वी धारावाहिक जैसी बात हो गयी।आपकी लेखन शैली उत्तम है।
मुहतरमा अनीता शर्मा जी आदाब,प्रदत्त विषय पर लघुकथा का अच्छा प्रयास हुआ है,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
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