आदरणीय साथिओ,
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मोह
अनुश्री को अनाथालय आये आज दो साल हो गए, एक महीने की थी तब रेल के डिब्बे में रोती हुई मिली थी । तभी से वो इस आश्रम में है । अनुश्री की तोतली बोली और मासूमियत ने सब का मन मोह लिया था ।
आज ही विदेशी दम्पति का अनुश्री को गोद लेने का अनुरोध भी स्वीकृत हो गया था । आज अनुश्री का इस आश्रम में आखिरी जन्मदिन है, यही सोच सब का मन भारी था ,साथ ही उसका खुशहाल भविष्य सोच सब उसके लिये खुश भी थे ।
अनुश्री तो नये कपड़े और खिलौने लिये सारे मोह बंधन तोड़ नये माता पिता के संग जाने को तैयार थी ।
मौलिक एवं अप्रकाशित
आदरणीय अनीता शर्मा जी आदाब बहुत बहुत बधाई सुन्दर लघुकथा के लिये स्वीकार करें सादर
आदरणीय आसिफ जैदी जी , आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।
अनीता शर्मा जी अच्छी लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।
आदरणीया कनक हरलालका जी , आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।
अच्छा प्रयास है आ० अनीता शर्मा जीI आयोजन में सहभागिता हेतु अभिनन्दन स्वीकार करेंI
आदरणीय योगराज प्रभाकर जी , आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।
मुह तरमा अनिता साहिबा, प्रदत्त विषय पर सुंदर लघुकथा हुई है मुबारकबाद क़ुबुल फरमाएं l
आदरणीय तस्दीक अहमद खान जी , आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।
आद0 Anita Sharma जी सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय को परिभाषित करती बढ़िया लघुकथा लिखी आपने। बधाई स्वीकार कीजिये।
आदरणीय सुरेंद्र नाथ कुशक्षत्रप जी , आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।
आदाब। बहुत बढ़िया मुद्दा व भाव लिए हैं। हार्दिक बधाई आदरणीया अनीता शर्मा जी। थोड़ा और समय देकर कुछ संवाद जोड़ कर इसे बेहतर सार्थक रूप आप दे सकतीं हैं।
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