For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल (पुलवामा के शहीदों को श्रद्धांजलि)

ग़ज़ल (पुलवामा के शहीदों को श्रद्धांजलि)

देके सर हम हो गए दुनिया से रुखसत दोस्तो l
तुम को करनी है वतन की अब हिफाज़त दोस्तो l

बाँध कर बैठो कफ़न अपने सरों पर हर घड़ी
सामने ना जाने कब आ जाए आफ़त दोस्तो l

उन दरिंदों का मिटा दें दुनिया से नामो निशां
मुल्क में फैला रहे हैं जो भी दहशत दोस्तो l

उसको मत देना मुआफ़ी मौत देना है उसे
जिसने पुलवामा में की है नीच हरकत दोस्तो l

हम को उनकी ईंट का पत्थर से देना है जवाब
ढा रहे हैं सरहदों पर जो क़यामत दोस्तो l

ये हैं दहशत गर्द क्या जानें भला इंसानियत
इनको अब उलफत नहीं दिखलाओ ताक़त दोस्तो l

मत करो आगे भरोसा तुम पड़ोसी देश पर
धोका देना बन गई है उसकी फितरत दोस्तो l

उनसे बदला खून का लेना है हम को खून से
दी जवानों को जिन्होंने हाए रिहलत दोस्तो 

जो सदा धोका ही दे कहना है ये तस्दीक का
उसकी जानिब मत बढ़ाओ दस्ते उलफत दोस्तो l

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 838

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on February 19, 2019 at 7:09pm

भाई जनाब सुरेन्द्र नाथ साहिब, ग़ज़ल पर आपकी अश्रु पूर्ण शहीदों को श्रद्धांजलि और हौसला अफज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया I 

Comment by नाथ सोनांचली on February 19, 2019 at 6:32pm

आद0 तस्दीक अहमद खान जी सादर अभिवादन। आपने बेहतरीन ग़ज़ल के माध्यम से पुलवामा के शहीदों को श्रंद्धाजलि दी है। नमन करता हूँ लेखनी को और नम आँखों से पर गर्वपूर्ण उन जवानों को श्रद्धांजलि भी अर्पित करता हूँ

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"एक शेर छूट गया इसे भी देखिएगा- मिट गयी जब ये दूरियाँ दिल कीतब धरा पर का फासला क्या है।९।"
1 minute ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई अमित जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल से मंच का शुभारम्भ करने के लिए बहुत बहुत हार्दिक…"
6 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी आदाब।  ग़ज़ल के अच्छे प्रयास के लिए बधाई स्वीकार…"
12 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"2122 1212 22 बात करते नहीं हुआ क्या है हमसे बोलो हुई ख़ता क्या है 1 मूसलाधार आज बारिश है बादलों से…"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"खुद को चाहा तो जग बुरा क्या है ये बुरा है  तो  फिर  भला क्या है।१। * इस सियासत को…"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"सादर अभिवादन, आदरणीय।"
4 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"ग़ज़ल~2122 1212 22/112 इस तकल्लुफ़ में अब रखा क्या है हाल-ए-दिल कह दे सोचता क्या है ये झिझक कैसी ये…"
8 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"स्वागतम"
8 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .

दोहा पंचक  . . . .( अपवाद के चलते उर्दू शब्दों में नुक्ते नहीं लगाये गये  )टूटे प्यालों में नहीं,…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service