For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

उम्र भर जो भी ग़रीबी के निशाँ देखेगा (३६)

उम्र भर जो भी ग़रीबी के निशाँ देखेगा 
कैसे मुमकिन है वो बाँहों में जहाँ देखेगा 
** 
कितना बारूद भरा होगा बताना मुश्किल 
लफ्ज़ से कोई निकलता जो धुआँ देखेगा 
**
दिल की रानाई का अंदाज़ा लगाए कैसे 
जो फ़क़त हुस्न कि फिर शोला-रुख़ाँ* देखेगा 
**
दर्द महसूस भला ग़म का उसे हो क्यों कर 
ज़िंदगी भर जो कोई ज़ब्त-ए-फ़ुग़ाँ* देखेगा 
**
ज़ख़्म से ख़ून भी रिसता है कोई क्या जाने 
सिर्फ़ तस्वीर में जो नोक-ए-सिना* देखेगा 
**
नौजवाँ आज परेशान वतन में कब तक 
हार कर बैठा हुआ कार-ए-जियाँ* देखेगा 
**
कब तलक जिस्म शहीदों के फ़ना होंगे और 
मुल्क गद्दारों के बेशर्म बयाँ देखेगा 
**
ख़ुदक़ुशी मुल्क से कब जाएगी रुख़्सत होकर 
कब तलक खेत यहाँ अब्र-ए-रवाँ* देखेगा 
**
वक़्त अब हाथ में अपने है मिटा देंगे 'तुरंत '
जो सियासत में फ़क़त सूद-ओ-जियाँ* देखेगा 
**
गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' बीकानेरी |
(मौलिक एवं अप्रकाशित )

शब्दार्थ -शोला-रुख़ाँ*=आतिशी कपोल ,ज़ब्त-ए-फ़ुग़ाँ*=आर्तनाद को रोकना ,नोक-ए-सिना*=तलवार की नोक ,कार-ए-जियाँ*=फल रहित कार्य ,अब्र-ए-रवाँ*=घूमते हुए बादळ ,सूद-ओ-जियाँ*=लाभ हानि 

Views: 323

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Samar kabeer on March 12, 2019 at 9:01am

जनाब गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत' जी आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।

मतले का भाव स्पष्ट नहीं,ग़ौर करें ।


''जो फ़क़त हुस्न कि फिर शोला-रुख़ाँ* देखेगा"

इस मिसरे को यूँ करना उचित होगा:-

'जो तेरे हुस्न को ऐ शोला रुख़ाँ देखेगा'

' ज़िंदगी भर जो कोई ज़ब्त-ए-फ़ुग़ाँ* देखेगा'

'ज़ब्त-ए-फ़ुग़ाँ' देेखने की  चीज़ नहीं ,ग़ौर 

करें ।

'मुल्क गद्दारों के बेशर्म बयाँ देखेगा'

'बयाँ' देखे नहीं सुने जाते है ।

'ख़ुदक़ुशी मुल्क से कब जाएगी रुख़्सत होकर'

इस मिसरे में 'जाएगी' और 'रुख़्सत' दोनों शब्द एक साथ मुनासिब नहीं ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी

२१२२       २१२२        २१२२   औपचारिकता न खा जाये सरलता********************************ये अँधेरा,…See More
2 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा दशम्. . . . . गुरु

दोहा दशम्. . . . गुरुशिक्षक शिल्पी आज को, देता नव आकार । नव युग के हर स्वप्न को, करता वह साकार…See More
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल आपको अच्छी लगी यह मेरे लिए हर्ष का विषय है। स्नेह के लिए…"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति,उत्साहवर्धन और स्नेह के लिए आभार। आपका मार्गदर्शन…"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय सौरभ भाई , ' गाली ' जैसी कठिन रदीफ़ को आपने जिस खूबसूरती से निभाया है , काबिले…"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील भाई , अच्छे दोहों की रचना की है आपने , हार्दिक बधाई स्वीकार करें "
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है , दिल से बधाई स्वीकार करें "
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , खूब सूरत मतल्ले के साथ , अच्छी ग़ज़ल कही है , हार्दिक  बधाई स्वीकार…"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल  के शेर पर आपकी विस्तृत प्रतिक्रिया देख मन को सुकून मिला , आपको मेरे कुछ…"
4 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपसे मिले अनुमोदन हेतु आभार"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service