For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

221 1222 22 221 1222 22
गुज़री है मेरे दिल पर क्या क्या अब हिज्र का आलम पूछ रहे ।।
मालूम तुम्हें जब गम है मेरा क्यूँ आंखों का पुरनम पूछ रहे ।।1

इक आग लगी है जब दिल में चहरे पे अजब सी बेचैनी ।
इकरारे मुहब्बत क्या होगी ये बात वो पैहम पूछ रहे ।।2

कुछ फ़र्ज़ अता कर दे जानां कुछ खास सवालातों पर अब ।
होठों पे तबस्सुम साथ लिए जो वस्ल का आगम पूछ रहे ।।3

हालात मुनासिब कौन कहे जलती है जमीं जलता भी है दिल।
बादल से परिंदे रह रह कर बरसात का मौसम पूछ रहे ।।4

हम यूँ ही तरक्क़ी करते हैं महफूज़ रहेगा मुल्क यहाँ ।।
कुछ खास तो है दुनिया वाले इस देश का परचम पूछ रहे ।।5

हर वक्त तबाही का मंजर ख़ामोश रहेगा रब कब तक ।।
कुछ रहम करे उन पर भी ख़ुदा जो राज ए बरहम पूछ रहे ।।6

अब फ़िक्र गुनाहों की उनको इक रोज़ कयामत आएगी ।
शैतां भी खता से बचने को अल्लाह का ज़मज़म पूछ रहे ।।7

बेदर्द जहां पर अफसर है इंसाफ का मंजर क्या होगा ।
अब लोग सितमगर से ही तो हर घाव का मरहम पूछ रहे ।।8

इस बात पे दौलत वालों की बस्ती में है बरपा हंगामा ।
फुटपाथ पे रहने वाले क्यूँ इक शाम का मक़दम पूछ रहे ।।9

चाहत की अदाएं क्या होंगी दीदार करेगी क्या दुनिया ।।
ऐ चाँद यहाँ तुमसे अंजुम उस रात का संगम पूछ रहे ।।10

खुशियों का तलातुम देख के अब हैरां हैं चमन के लोग यहाँ ।
नादां हैं बहुत कश्ती वाले दरिया से जो उद्गम पूछ रहे ।।11

--डॉ नवीन मणि त्रिपाठी

मौलिक अप्रकाशित

Views: 440

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by TEJ VEER SINGH on May 8, 2019 at 10:57am

हार्दिक बधाई आदरणीय नवीन मणि जी।बेहतरीन गज़ल।

बेदर्द जहां पर अफसर है इंसाफ का मंजर क्या होगा ।
अब लोग सितमगर से ही तो हर घाव का मरहम पूछ रहे ।

Comment by Naveen Mani Tripathi on May 4, 2019 at 1:02pm

आ0 हरिओम श्रीवास्तव जी हार्दिक आभार

Comment by Hariom Shrivastava on May 4, 2019 at 11:05am

वाह,वाहहह,बड़ी बह्र पर लाजवाब ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई आदरणीय नवीन मणि त्रिपाठी जी।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२२१/२१२१/१२२१/२१२ ***** जिनकी ज़बाँ से सुनते  हैं गहना ज़मीर है हमको उन्हीं की आँखों में पढ़ना ज़मीर…See More
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, उत्साहवर्धन एवं स्नेह के लिए आभार। आपका स्नेहाशीष…"
2 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . नजर

नजरें मंडी हो गईं, नजर हुई  लाचार । नजरों में ही बिक गया, एक जिस्म सौ बार ।। नजरों से छुपता…See More
10 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आपको प्रयास सार्थक लगा, इस हेतु हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय लक्ष्मण धामी जी. "
10 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से अलंकृत करने का दिल से आभार आदरणीय । बहुत…"
11 hours ago
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"छोटी बह्र  में खूबसूरत ग़ज़ल हुई,  भाई 'मुसाफिर'  ! " दे गए अश्क सीलन…"
yesterday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"अच्छा दोहा  सप्तक रचा, आपने, सुशील सरना जी! लेकिन  पहले दोहे का पहला सम चरण संशोधन का…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। सुंदर, सार्थक और वर्मतमान राजनीनीतिक परिप्रेक्ष में समसामयिक रचना हुई…"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . नजर

नजरें मंडी हो गईं, नजर हुई  लाचार । नजरों में ही बिक गया, एक जिस्म सौ बार ।। नजरों से छुपता…See More
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२/२१२/२१२/२१२ ****** घाव की बानगी  जब  पुरानी पड़ी याद फिर दुश्मनी की दिलानी पड़ी।१। * झूठ उसका न…See More
Monday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-125 (आत्मसम्मान)
"शुक्रिया आदरणीय। आपने जो टंकित किया है वह है शॉर्ट स्टोरी का दो पृथक शब्दों में हिंदी नाम लघु…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-125 (आत्मसम्मान)
"आदरणीय उसमानी साहब जी, आपकी टिप्पणी से प्रोत्साहन मिला उसके लिए हार्दिक आभार। जो बात आपने कही कि…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service