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साहित्य (66)

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सावनी संगीत और कविता की रिमझिम - डा0 गोपाल नारायन श्रीवास्तव

                         हिन्दी साहित्य में प्रोषित और प्रवस्यत-पतिकाओ के लिये  वर्षा ऋतु के श्रावण मास का विशेष महत्त्व है  I प्राचीन समय…

Started by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव

2 Apr 27, 2015
Reply by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव

नए प्रतीकों की पहल में अज्ञेय का ‘बावरा अहेरी’ -

                                                                                             अज्ञेय के जन्म दिवस 7 मार्च 2015 पर विशेष    …

Started by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव

17 Apr 26, 2015
Reply by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव

राम की शक्ति-पूजा (महाकाव्य) का वस्तु विन्यास -- डा0 गोपाल नारायन श्रीवास्तव

                                                रामाख्यानो में राम को चाहे विष्णु के अवतार के रूप मे प्रतिष्ठित किया गया हो या उन्हें सामान…

Started by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव

18 Apr 26, 2015
Reply by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव

‘ब्रह्मराक्षस’ का शिष्य बनने को अभीप्सित मुक्तिबोध -डा0 गोपाल नारायन श्रीवास्तव

      हिन्दी में फैंटेसी को स्थापित करने वाले प्रख्यात कवि गजानन माधव मुक्तिबोध की ‘ब्रह्मराक्षस’ नामक कविता भी ‘अँधेरे में’ की भांति ही एक…

Started by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव

4 Feb 11, 2015
Reply by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव

हिन्दी काव्य का फलक और अतुकांत कविता --- डा0 गोपाल नारायन श्रीवास्तव

                                                                           मेरे एक प्रबुद्ध मित्र ने फोनिक वार्त्ता के दौरान पद्य, कविता और…

Started by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव

20 Jan 26, 2015
Reply by Rahul Dangi Panchal

सदस्य टीम प्रबंधन

नवगीत : तथ्यात्मक आधार और सार्थकता // --सौरभ

सृष्टि के मुख्य दो अवयवों, व्यष्टि-समष्टि, से बँधा गीत वस्तुतः मानवीय चेतना का ललित शब्द-स्वरूप है. विभिन्न भावों को ग्रहण कर उसकी वैयक्तिक…

Started by Saurabh Pandey

8 Dec 17, 2014
Reply by मिथिलेश वामनकर

कलगी बाजरे की’ पर मुग्ध ‘अज्ञेय’ --डा0 गोपाल नारायन श्रीवास्तव

         हीरानन्द सच्चिदानंद वात्स्यायन (1911 -1987 ई०) ने  हिन्दी  कविता  का  पोषण  प्रयोगवाद  से  आगे  बढकर नयी कविता  तक  बड़े जोशो-खरोश…

Started by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव

0 Nov 25, 2014

सदस्य टीम प्रबंधन

इलाहाबाद में ’हिन्दी दिवस’ आयोजित, सम्मानित हुए साहित्यकार

इलाहाबाद स्थित होटल ब्रिजेज के परिसर में अवस्थित ’विशाल’ के सभागार में दिनांक १४ सितम्बर को ’लायन्स क्लब इण्टरनेशनल (अनुभव)’ की ओर से ’हिन्…

Started by Saurabh Pandey

17 Oct 4, 2014
Reply by rajesh kumari

आईये पढ़े और लिखे ख्यातिप्राप्त रचनाकारो की कुछ रचनाये...

बहुत दिनों से मेरे मन मे विचार आ रहा था कि कैसे "ओपन बुक्स ऑनलाइन " परिवार के सदस्यों को साहित्य जगत के मशहूर रचनाकारों की रचनाओ को पढने और…

Started by Admin

39 Aug 24, 2013
Reply by आशीष नैथानी 'सलिल'

‘गुफ़्तगू कैम्पस काव्य प्रतियोगिता’ के लिए छात्र-छात्राओं से प्रविष्टियां आमंत्रित

पिछले दो वर्षों की तरह इस वर्ष भी ‘गुफ़्तगू कैम्पस काव्य प्रतियोगिता’ का आयोजन किया जा रहा है। जिसके लिए छात्र-छात्राओं से प्रविष्टियां आम…

Started by वीनस केसरी

2 Jul 1, 2013
Reply by वीनस केसरी

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लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
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लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आ. भाई बृजेश जी, सादर अभिवादन। गीत का प्रयास अच्छा हुआ है। पर भाई रवि जी की बातों से सहमत हूँ।…"
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लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

अच्छा लगता है गम को तन्हाई मेंमिलना आकर तू हमको तन्हाई में।१।*दीप तले क्यों बैठ गया साथी आकर क्या…See More
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लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहते हो बात रोज ही आँखें तरेर कर-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार। यह रदीफ कई महीनो से दिमाग…"
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PHOOL SINGH posted a blog post

यथार्थवाद और जीवन

यथार्थवाद और जीवनवास्तविक होना स्वाभाविक और प्रशंसनीय है, परंतु जरूरत से अधिक वास्तविकता अक्सर…See More
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Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"शुक्रिया आदरणीय। कसावट हमेशा आवश्यक नहीं। अनावश्यक अथवा दोहराए गए शब्द या भाव या वाक्य या वाक्यांश…"
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Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीया प्रतिभा पाण्डेय जी।"
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pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"परिवार के विघटन  उसके कारणों और परिणामों पर आपकी कलम अच्छी चली है आदरणीया रक्षित सिंह जी…"
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लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"आ. प्रतिभा बहन, सादर अभिवादन।सुंदर और समसामयिक लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
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Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"आदाब। प्रदत्त विषय को एक दिलचस्प आयाम देते हुए इस उम्दा कथानक और रचना हेतु हार्दिक बधाई आदरणीया…"
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Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"आदरणीय शहज़ाद उस्मानी जी, आपकी टिप्पणी के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। शीर्षक लिखना भूल गया जिसके लिए…"
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pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"समय _____ "बिना हाथ पाँव धोये अन्दर मत आना। पानी साबुन सब रखा है बाहर और फिर नहा…"
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