For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आदरणीय साहित्य प्रेमियो,

सादर अभिवादन ।

पिछले 105 कामयाब आयोजनों में रचनाकारों ने विभिन्न विषयों पर बड़े जोशोखरोश के साथ बढ़-चढ़ कर कलम आज़माई की है. जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर नव-हस्ताक्षरों, के लिए अपनी कलम की धार को और भी तीक्ष्ण करने का अवसर प्रदान करता है. इसी सिलसिले की अगली कड़ी में प्रस्तुत है :

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-106

विषय - "खुशियों का मौसम"

आयोजन की अवधि- 09 अगस्त 2019, दिन शुक्रवार से 10 अगस्त 2019, दिन शनिवार की समाप्ति तक

(यानि, आयोजन की कुल अवधि दो दिन)

बात बेशक छोटी हो लेकिन ’घाव करे गंभीर’ करने वाली हो तो पद्य- समारोह का आनन्द बहुगुणा हो जाए. आयोजन के लिए दिये विषय को केन्द्रित करते हुए आप सभी अपनी अप्रकाशित रचना पद्य-साहित्य की किसी भी विधा में स्वयं द्वारा लाइव पोस्ट कर सकते हैं. साथ ही अन्य साथियों की रचना पर लाइव टिप्पणी भी कर सकते हैं.

उदाहरण स्वरुप पद्य-साहित्य की कुछ विधाओं का नाम सूचीबद्ध किये जा रहे हैं --

तुकांत कविता
अतुकांत आधुनिक कविता
हास्य कविता
गीत-नवगीत
ग़ज़ल
नज़्म
हाइकू
सॉनेट
व्यंग्य काव्य
मुक्तक
शास्त्रीय-छंद (दोहा, चौपाई, कुंडलिया, कवित्त, सवैया, हरिगीतिका आदि-आदि)

अति आवश्यक सूचना :-

रचनाओं की संख्या पर कोई बन्धन नहीं है. किन्तु, एक से अधिक रचनाएँ प्रस्तुत करनी हों तो पद्य-साहित्य की अलग अलग विधाओं अथवा अलग अलग छंदों में रचनाएँ प्रस्तुत हों.

रचना केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, अन्य सदस्य की रचना किसी और सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी.
रचनाकारों से निवेदन है कि अपनी रचना अच्छी तरह से देवनागरी के फॉण्ट में टाइप कर लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें.
रचना पोस्ट करते समय कोई भूमिका न लिखें, सीधे अपनी रचना पोस्ट करें, अंत में अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल आदि भी न लगाएं.
प्रविष्टि के अंत में मंच के नियमानुसार केवल "मौलिक व अप्रकाशित" लिखें.
नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है. यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
सदस्यगण बार-बार संशोधन हेतु अनुरोध न करें, बल्कि उनकी रचनाओं पर प्राप्त सुझावों को भली-भाँति अध्ययन कर संकलन आने के बाद संशोधन हेतु अनुरोध करें. सदस्यगण ध्यान रखें कि रचनाओं में किन्हीं दोषों या गलतियों पर सुझावों के अनुसार संशोधन कराने को किसी सुविधा की तरह लें, न कि किसी अधिकार की तरह.

आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है. लेकिन बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति टिप्पणीकारों से सकारात्मकता तथा संवेदनशीलता अपेक्षित है.

इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं.

रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें. अनावश्यक रूप से स्माइली अथवा रोमन फाण्ट का उपयोग न करें. रोमन फाण्ट में टिप्पणियाँ करना, एक ऐसा रास्ता है जो अन्य कोई उपाय न रहने पर ही अपनाया जाय.

(फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो - 09 अगस्त 2019, दिन शुक्रवार लगते ही खोल दिया जायेगा)

यदि आप किसी कारणवश अभी तक ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तो www.openbooksonline.com पर जाकर प्रथम बार sign up कर लें.

महा-उत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...
"OBO लाइव महा उत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" के पिछ्ले अंकों को पढ़ने हेतु यहाँ क्लिक करें

मंच संचालक
मिथिलेश वामनकर
(सदस्य कार्यकारिणी टीम)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम.


Views: 2811

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

आ. प्रतिभा बहन सादर आभार..

जनाब लक्ष्मण धामी 'मुसाफ़िर' जी आदाब,प्रदत्त विषय को सार्थक करते अच्छे दोहे लिखे आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

'इसको किस्मत साथ ही, रहें कर्म भी नेक'

इस पंक्ति में बात स्पष्ट नहीं हो सकी,देखियेगा ।

'राजपथों के जाल में, उलझ विकास के पाँव'--12 मात्रा ।

आ. भाई समर जी, सादर अभिवादन । दोहों पर उपस्थिति से मान बढ़ाने और मार्गदर्शन के लिए हार्दिक धन्यवाद। इंगित पंक्तियों में सुधार किया है विचार दें।

/खुशियों का मौसम नहीं, पाता है हर एक
ये तो मिलता है उसे, करे कर्म जो नेक।२।

/राजपथों के जाल में, फँस विकास के पाँव

//खुशियों का मौसम नहीं, पाता है हर एक
ये तो मिलता है उसे, करे कर्म जो नेक//

बहुत ख़ूब ।

// फँस विकास के पाँव// ठीक है,मात्रा पूरी है,लेकिन गेयता देखें ?

आदाब। बहुत बढ़िया सृजन। हार्दिक बधाई आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफ़िर' साहिब। मुझे ऐसा लगा कि सारछंद में यह रचना अधिक प्रभावशाली हो सकती थी।

खुशियों का मौसम आया है ,पुलकित यह संसार ।
बादल- दल से हुआ सुशोभित ,अम्बर का विस्तार।

धमाचौकड़ी खूब मची है ,व्याकुल दिखता व्योम ।
दिनकर करते ताकाझांकी ,अलसाए हैं सोम।
टकराकर घन करते रिमझिम ,बूंदों की बौछार।
बादल- दल से हुआ सुशोभित

उच्श्रृंखल हो पवन चल रही ,बहकी बहकी चाल।
उन्मादित हो चूम रही है ,तरुवर दल के भाल।
मरणासन तटिनी में आया ,फिर नूतन संचार ।
बादल- दल से हुआ सुशोभित.....

पंचम स्वर में गाती कोयल ,झींगुर करते शोर।
पी -कहँ , पी -कहँ रटे पपीहा ,थिरके वन में मोर।
प्रणय निवेदन भेज रहा है ,संसृति का हर तार।
बादल- दल से हुआ सुशोभित....

उछल -कूद करते हैं दादुर ,होकर बहुत अधीर।
रचा स्वयम्बर बैठे सारे ,कूप जलाशय तीर।
आकर्षित करने को गाते ,मिलकर राग- मल्हार।
बादल- दल से हुआ सुशोभित.....

चातक के मन फिर जागी है ,स्वाति बूंद की आस।
बरस- बरस कर आज बुझा दो, जन्म -जन्म की प्यास।
रोम रोम भीगे झँकृत हों ,मन वीणा के तार।

पहली बूंदों से बिखरी है ,सौंधी सौंधी गन्ध।
घिरी द्वंद्व में नदी तोड़ती ,मर्यादा के बन्ध।
आमंत्रित करता जब सागर ,अपनी बांह पसार।

बादल दल से हुआ सुशोभित ...  

हरित हुई धरती की चूनर, बिछी मखमली सेज।
टाँक रहा है पुष्प सजीले ,चुन चुन कर रंगरेज।
घूम रहे आवारा भँवरे, करने को अभिसार।

बादल दल से हुआ सुशोभित ...  

मेघदूत प्रियतम तक मेरा, पहुँचाना सन्देस।
सखियाँ प्रिय सँग रास रचातीं,कन्त बसे परदेस।
*सीप* निहारे बाट सजा ,पलकों के वंदनवार।

बादल दल से हुआ सुशोभित.....

' मौलिक व अप्रकाशित'

उछल -कूद करते हैं दादुर ,होकर बहुत अधीर।
रचा स्वयम्बर बैठे सारे ,कूप जलाशय तीर।
आकर्षित करने को गाते ,मिलकर राग- मल्हार।
बादल- दल से हुआ सुशोभित.....// बहुत सुन्दर गीत रचा है आपने आदरणीया सुनन्दा झा जी। हर एक बन्द शिल्प और भाव से समृद्ध है। हार्दिक बधाई

मेरा हौसला बढ़ाने के लिए हृदयतल से आभार आदरणीया ।

मुहतरमा सुनन्दा झा साहिब: आदाब,प्रदत्त विषय को सार्थक करती अच्छी रचना हुई है,बधाई स्वीकार करें ।

दिल से शुक्रिया आदरणीय ।रचना आपको पसन्द आई ,लेखन सार्थक हुआ सादर ।

आ. सुनंदा जी, प्रदत्त विषय को सार्थक करती अच्छी रचना हुई है,बधाई स्वीकार करें ।

हृदयतल से आभार आदरणीय मेरा हौसला बढ़ाने के लिए ।

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
10 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"अनुज बृजेश , प्रेम - बिछोह के दर्द  केंदित बढ़िया गीत रचना हुई है , हार्दिक बधाई आदरणीय…"
16 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय रवि भाई  ग़ज़ल पर उपस्थिति  हो  उत्साह वर्धन  करने के लिए आपका…"
17 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"अनुज बृजेश ,  ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका आभार , मेरी कोशिश हिन्दी शब्दों की उपयोग करने की…"
17 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय अजय भाई ,  ग़ज़ल पर उपस्थिति हो  उत्साह वर्धन करने के लिए आपका आभार "
17 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"आ. नीलेश भाई ग़ज़ल पर उपस्थिति और उत्साह वर्धन के लिए आपका आभार "
17 hours ago
Ravi Shukla commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"आदरणीय अजय जी किसानों को केंद्र में रख कर कही गई  इस उम्दा गजल के लिए बहुत-बहुत…"
yesterday
Ravi Shukla commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"आदरणीय नीलेश जी, अच्छी  ग़ज़ल की प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें. अपनी टिप्पणी से…"
yesterday
Ravi Shukla commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाई जी नमस्कार ग़ज़ल का अच्छी प्रयास है । आप को पुनः सृजन रत देखकर खुशी हो रही…"
yesterday
Ravi Shukla commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आदरणीय बृजेश जी प्रेम में आँसू और जदाई के परिणाम पर सुंदर ताना बाना बुना है आपने ।  कहीं नजर…"
yesterday
बृजेश कुमार 'ब्रज' posted a blog post

गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा

सार छंद 16,12 पे यति, अंत में गागाअर्थ प्रेम का है इस जग मेंआँसू और जुदाईआह बुरा हो कृष्ण…See More
Thursday
Deepak Kumar Goyal is now a member of Open Books Online
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service