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आदरणीय ओमप्रकाश जी धन्यवाद . सही दर्पण तो अन्तेर्मन का सखा होता है .
पिछली सदी की प्यारी सी कथा हेतु बधाई आदरणीय।
धन्यवाद आदरणीय पवन जी . रचनाएं अधिकतर सामयिक देश-काल से प्रभावित होती ही हैं. मुझे एक कोमल भाव की निर्मल भावना वाली कृति का ही सृजन करना था सो एक सदी पुरानी काल और बंगाल के परिदृश्य को चुना .
धन्यवाद आदरणीय
कोमल भाव लिए अच्छी रचना के लिए बधाई आ. रीता गुप्ता जी
धन्यवाद आदरणीय सुधीर जी मुझे इस बार छल प्रपंचों से विलग एक कोमल भाव लिए रचना की ही इच्छा थी. आभार आपने इस भाव को महसूस किया .
सही समझा आपने आदरणीया. वह आदमकद दर्पण ही लख्खी का एक मात्र साथी था उस भरे पूरे घर में .यानी अपने आप से वह बातें करती थी . धन्यवाद .
बढ़ीया रचना हुई है आदरणीय रीता जी । बधाई स्वीकारें ।
धन्यवाद आदरणीय प्रभाकर जी , आपको कथा पसंद आई.
मोहतरमा रीता गुप्ता साहिबा , घरेलु परिदश्य को दर्शाती अच्छी साथी लघु कथा के लिए मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं
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