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आदरणीय हरी प्रकाश दुबे जी बहुत दिनों बाद आप की प्रतिक्रिया पढ़ी. अच्छा लगा. आभार आप का .
आदरणीय नीता सैनी जी आप का कहना सही है,. स्त्रियों को ब्रह्मा जी भी नहीं समझ पाए है. इन्सान की क्या बिसात, आभार आप के समर्थन के लिए
पति को खुद चाहे कितना भला बुरा कह ले किन्तु मुसीबत के वक़्त में वाही पति का साथ देती है जो आपकी नायिका ने दिया है यही हकीक़त है बाकि बातें तो फ़िल्मी होती हैं प्रदत्त विषय से पूर्ण न्याय करती हुई प्रस्तुति है आपकी आदरणीय .
एलिमेंट ऑफ़ सरप्राइज को अंत तक क़ायम रखने की वजह से लघुकथा बेहद प्रभावशाली हो गई, जिस हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें आ० ओमप्रकाश क्षत्रिय जीI
आदरणीय योगराज प्रभाकर जी आप ने मेरे संशय को साफ कर दिया. अन्यथा अन्य विद्वान साथियों की टिप्पणी ने मुझे भी संशय में डाल दिया था. आप की हौसलाअफजाई ने मेरा संशय दूर कर दिया. आप की इस बेबाक समीक्षात्मक टिप्पणी के लिए ह्रदय से आभार काबुल कीजिए. आप का यह बेबाकीपन का मैं शुरू से ही कायल हूँ. शुक्रिया आप का.
साथी शब्द को पूर्णतः शाब्दिक करती इस सुन्दर लघु कथा के लिए हार्दिक बधाई स्वीकारें आ० ओमप्रकाश जी
आदरणीय rajesh kumari जी लघुकथा के समर्थन के लिए आप का आभारी हूँ. शुक्रिया आप का .
आदरणीय Archana Tripathi जी आप की टिपण्णी बहुत कुछ कह जाती है. यह भी लघुकथा के हर अच्छेबुरे पक्ष पर प्रकाश डालती है, जिस से रचनाकार बहुत कुछ सीखसमझ जाता है. आप की इस मूल्याङ्कन परक टिपण्णी के लिए हदय से आप का आभार - शुक्रिया.
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